भूरे से रंग की इक छोटी चिड़िया है,
जो नियमित बेनागा प्रतिदिन प्रातः
चुगने दाना-पानी, चहचहाती आती है
और मुझे जगाती है बार-बार आकर,
धाय है वो मेरी, नाम उसका है गौरैया !
अच्छा लगता है बहुत नींद से यूँ उठना,
सुन कर समवेत स्वर में चहचहाना !
मानो मन में सोये साधना के सुर जगाना ।
देखना सर्वप्रथम करवट लेकर जी भर !
खिङकी से बाहर की चहल-पहल !
झूलती मगन हरी-भरी डालियों पर
छत और छज्जे पर नन्ही गौरैया
यहाँ-वहाँ लय में फुदकती लगातार !
जग को सुनाती प्रातः समाचार ..
लो देखो ! हो गया सुनहरा सुप्रभात !
ध्यानावस्थित शांत असीम नील नभ
सूर्य रश्मि से बुनी रेशमी वंदनवार
एक नये दिन का करने संस्कार
नव ऊर्जा का करने शुभ संचार
चहेती चिरैया ने छेङे ह्रदय के तार !
एक चिड़िया गौरैया पुकारने का नाम !
मेरी हर सुबह का सुरीला आलाप !
मेरी हर शाम का चिर-परिचित राग !
चहचहाती सुबह से दिन का आगाज़ !
सचमुच गौरैया के आने से जागते हैं भाग !
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जवाब देंहटाएंएक चिड़िया गौरैया पुकारने का नाम !
जवाब देंहटाएंमेरी हर सुबह का सुरीला आलाप !
मेरी हर शाम का चिर-परिचित राग !
चहचहाती सुबह से दिन का आगाज़ !
सचमुच गौरैया के आने से जागते हैं भाग !
... बिल्कुल मेरे भी भाग जगाने आती हैं गौरैया.. और उसकी चहचहाहट लाती है जीवन में राग, अपनापन, और लगाव।
बहुत सुंदर रचना सखी! बहुत शुभकामनाएँ आपको और गौरैया को भी।
शुक्रिया जिज्ञासा जी.
हटाएंआपने समझी हमने जानी
अपनी गौरैया की कहानी
नमस्ते यशोदा सखी. गौरैया के लिए हलचल में जगह बनाने वास्ते हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंआत्मीय आभार , अनीता जी. नव संवत्सर शुभ हो.
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