सोमवार, 23 जनवरी 2023

जो समझना है

सत्य और असत्य 
उचित अनुचित में 
अंतर है क्या ..
इस बहस में उलझे रहे,
सिद्धांत उधेङते रहे,
तर्क की कंटीली 
बाङ बांधते रहे ,
किससे किसको 
बचाने के लिए ?

वाद-विवाद के 
चक्कर लगाते रहे ।
जहाँ थे, वहीँ रह गए ।
इतने संशय में 
कैसे जी पाओगे ?
अपने को पाओगे ?

इससे बेहतर तो हम
नदी के तट पर
चुपचाप बैठ कर,
जो साबित नहीं 
किया जा सकता,
उसे अनुभव करते
तो संभवतः अधिक 
समझ में आता ।

नदी के जल में भी 
फेंको पत्थर तो
होती है हलचल ।
शांत जल में 
झाँक कर देखें.. तो 
स्वयं को देख पाते हैं हम,
जब शांत जल बन जाता है दर्पण ।
कुछ समझे मेरे व्याकुल मन ?

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (26-01-2023) को   "आम-नीम जामुन बौराया"   (चर्चा-अंक 4637)  पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह, मर्म को छूती प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्तर
    1. सहृदय सराहना के लिए धन्यवाद. नमस्ते पर आपका स्वागत है, रूपा सिंह जी.

      हटाएं
  4. वाह नूपुरम जी, मन दर्पण पर लिखी एक शानदार रचना...बसंत आगमन की आपको ढेर सारी शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अलकनंदा जी, नमस्ते पर आपका सहर्ष स्वागत है. धन्यवाद. आपको मिले वसंत की बयार और बहार उपहार.

      हटाएं
  5. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 05 फरवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ, बड़ी सखी. सभी रचनाएँ पढीं. रविवारीय हलचल क्या खूब रही !

      हटाएं
  6. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 05 फरवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीया नूपुरम जी,
    नमस्ते 🙏❗️
    स्वयं को देख पाते हैं हम
    जब शांत जल बन जाता है दर्पण!
    यथार्थ सत्य, सुन्दर अभिव्यक्ति!
    मेरी आवाज में संगीतबद्ध मेरी रचना 'चंदा रे शीतल रहना' को दिए गए लिंक पर सुनें और वहीं पर अपने विचार भी लिखें. सादर abhaar🌹❗️--ब्रजेन्द्र नाथ

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीया नूपुरम जी,
    नमस्ते 🙏❗️
    स्वयं को देख पाते हैं हम
    जब शांत जल बन जाता है दर्पण ❗️
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति!
    मेरी आवाज में संगीतबद्ध मेरी रचना 'चंदा रे शीतल रहना' को दिए गए लिंक पर सुनें और वहीं पर अपने विचार भी लिखें. सादर आभार 🌹❗️--ब्रजेन्द्र नाथ

    जवाब देंहटाएं
  9. आपका स्वागत है नमस्ते पर. प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हार्दिक धन्यवाद. चंदा मामा भी खूब झूला ...शब्दों और सुरों का झूला.बधाई.

    जवाब देंहटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए