बाज़ारों की रौनक़ क्या कहिये !
काफ़िले रोशनी के क्या कहिये!
खुशियों की दस्तक क्या कहिये!
खुशहाली की मन्नत क्या कहिये !
वंदनवार हर द्वार पर क्या कहिये !
उम्मीदों में बरकत क्या कहिये !
उमंगों की थिरकन क्या कहिये !
चहकते चेहरों की रंगत क्या कहिये !
गुजिया की लज़्ज़त क्या कहिये !
माँ लक्ष्मी का आगमन क्या कहिये!
खील-बताशों से पूजन क्या कहिये!
रामजी लौटे अयोध्या क्या कहिये !
दीपावली का शुभ वंदन क्या कहिये !
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ओंकार जी. नमस्ते.
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 25 अक्तूबर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार 25 अक्टूबर, 2022 को "जल गई दीपों की अवली" (चर्चा अंक-4591)
जवाब देंहटाएंपर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंएक बुक जर्नल का शुक्रिया. पढने और सराहने के लिए. नमस्ते पर स्वागत है.
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनाएं
शुक्रिया, भारती जी. आपकी शुभकामनाएं बो दी हैं कलम में.
हटाएंअनुपम सृजन
जवाब देंहटाएंसहृदय सराहना. बहुत धन्यवाद.
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