भीगना ज़रूरी है ।
मूसलाधार बारिश में ।
रिमझिम बरसती
बूँदों की आङ में
रो लेना भी ज़रूरी है ।
धुल जाते हैं
ह्रदय में उलझे द्वन्द,
छल और प्रपंच
जिनकी मार
दिखाई नहीं देती ।
भीगना ज़रूरी है ।
भावनाओं की बौछार में ।
अपनों के दुलार में ।
भीगना ज़रूरी है ।
थुल जाते हैं आँगन चौबारे ।
सोच के धूल भरे गलियारे ।
भीगना ज़रूरी है ।
घर से बाहर निकल आना
बिना छाते-बरसाती के,
मुक्त होना भीगने के डर से ।
अपने आप को बहने देना
वर्षा के जल में,
और लबालब भर देना
रीते कोने बरसाती गढ्ढे ।
भीगना ज़रूरी है ।
यह जानने के लिए कि
कौन कितने पानी में है,
और किस-किसको
आता है तैरना ।
भीगना ज़रूरी है ।
आनंद और उल्लास में ।
प्रकृति के हास में ।
जिससे नम हो मन की मिट्टी
जिसमें खिलें फूल ही फूल ।
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चित्र सौजन्य : श्री अनमोल माथुर
अच्छी रचना । भीगना और रोना दोनों ही ज़रूरी ।।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, धन्यवाद ।
हटाएंआंसू न होते तो कैसे भीगता मन ?
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंभीगना ज़रूरी है ।
भावनाओं की बौछार में ।
अपनों के दुलार में... सच कहा आपने।
सादर
आभार अनीता जी ।
हटाएंविसंगतियों से शुष्क हुआ अंतर
भीगता नहीं तो हो जाता बंजर
आदरणीय शास्त्री जी, चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार । नमस्ते ।
जवाब देंहटाएंपम्मी जी, आपका हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएं'भीगना ज़रूरी है ।
जवाब देंहटाएंयह जानने के लिए कि
कौन कितने पानी में है,
और किस-किसको
आता है तैरना।'... बहुत सुन्दर
सच भीगने से तन-मन के भाव तिरोहित होने लगते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
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