गुरुवार, 6 जून 2024

वचनबद्ध वरदान



सौभाग्यवती भव सावित्री !

आयुष्मान भव सत्यवान !

आशीर्वाद बङों का विद्यमान 

रहे आजीवन वट वृक्ष समान ।

गुणीजनों की सेवा और सम्मान 

सदाचार का सदा रखना ध्यान ।

अटूट बल सावित्री के तप का 

सूत के उस धागे में रचा-बसा 

जो बांधा गया बरगद के तने से 

परिक्रमा और प्रार्थना करते-करते 

यमराज को भी कर दिया वचनबद्ध ।

वचन तुमने भी भरे थे सत्यवान !

यदि तुमने रखा वचनों का मान ,

सिद्ध होगी स्वयं सावित्री ही चिरकाल

तुम्हारी ढाल, तुम्हारे लिए अभय वरदान ।


11 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रचना
    शुभकामनाएं
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. शास्त्री जी, नमस्ते ! आप कैसे हैं ? बहुत दिनों बाद आपका आशीर्वाद स्वरुप सन्देश पा कर बहुत-बहुत ख़ुशी हुई ! अनंत आभार ! ईश्वर करे आप स्वस्थ और सक्रीय रहें ! सादर वंदन !

      हटाएं
  3. सुन्दर रचना। लेकिन जिसकी पूजा करनी है उसी की टहनियाँ तोड़कर पूजा करना व्रत के उद्देश्य को खत्म करना है।

    जवाब देंहटाएं
  4. श्वेता जी, पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में सार्थक लेखन और रचनाओं के संयोजन में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार और अभिनन्दन.

    जवाब देंहटाएं
  5. गिरिजा जी, आपका नमस्ते पर सहर्ष स्वागत है. सराहना के लिए धन्यवाद. पूजा सामग्री के लिए फूल, बेल पत्र ,फल आदि चुनते या तोड़ते हुए कभी उन्हें नुकसान पहुँचाने का विचार मन में नहीं आया. जैसे गौमाता का दूध दुहते समय अनुभव होता है, वही भावना रही है. हम पौधों की छंटाई भी करते हैं. हमारे प्रयोग की अधिकांश वस्तुएं प्रकृति की ही देन हैं. पेड़ काटना नहीं चाहिए यथासंभव. यही समझ रही है. फिर भी आपकी संवेदनशील भावना को नमन है. आपने अपने विचार व्यक्त किये. यह हमारा सौभाग्य है. आती रहिएगा. नमस्ते.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर रचना... शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद, संध्या जी. नमस्ते पर आपका सहर्ष स्वागत है.

      हटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए