गुरुवार, 8 सितंबर 2022

छायादार रास्ते

तुमने वो रास्ते देखे हैं ..
जिनके किनारे - किनारे 
घने पेङ होते हैं ?
बीच में होता है रास्ता 
माँग जैसा ।
इस रास्ते के बीचों-बीच 
खङे होकर ऊपर देखो
तो ऐसा लगता है,
मानो दोनों वृक्षों ने
थाम लिया हो
एक-दूसरे को,
गले मिल रहे हों 
दोस्त, हमख़याल ।
जैसे बचपन में 
ठीक इसी तरह
हाथ पकङ कर
पुल बनाया जाता था,
नीचे से रेल गुज़रती थी,
कमीज़, फ़्राक पकङे हुए 
सरकते रेल के डिब्बे बने
सीटी बजाते छुक-छुक करते !
कभी लगता है घर के बङे
झुक कर हवा झलते हुए
दे रहे हों आशीर्वाद ।
अकस्मात ऐसा कोई रास्ता 
चलते-चलते मिल जाए तुम्हें 
तो ज़रूर बताना ।
घर के बच्चों को मुझे 
ऐसे रास्तों पर है चलाना ।
ताकि ऐसे रास्तों को बच्चे 
बचा सकें अपने हाथों से,
घनी छाँव की छत्रछाया, 
ठंडी हवा के झोंके और
अदृश्य चिङिया का चहचहाना ।


7 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसे रास्ते बहुत सुकून देते हैं । सुंदर अभव्यक्ति ।।

    जवाब देंहटाएं
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार 09 सितंबर 2022 को 'पंछी को परवाज चाहिए, बेकारों को काज चाहिए' (चर्चा अंक 4547) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    जवाब देंहटाएं
  3. ऐसे रास्ते जीवन को ऊर्जा देते हैं

    बहुत सुंदर रचना
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. सच में रास्तों के किनारे पेड़ों की घनी छाँव
    ऐसा ही सुकून देती है ।बड़ों के आशीर्वाद की तरह।
    बहुत सुन्दर सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. मन को भली लगने वाली अभिव्यक्ति है यह।

    जवाब देंहटाएं
  6. रास्तों के किनारे पेड़ों की घनी छाँव
    बड़ों के आशीर्वाद की तरह सुकून देती है। बहुत सुंदर कल्पना, नूपुर दी।

    जवाब देंहटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए