मंगलवार, 15 मार्च 2022

शब्द संजीवनी


बहुत दिनों बाद
लौटी एक किताब..
पुस्तकालय ।

शेल्फ़ में रखी गई 
जैसे ही, हर्ष सहित 
हुआ स्वागत ।

सारी किताबों ने 
ज़ाहिर की हैरानी, 
इतने दिन बीते
कहाँ रहे भाई ?

कैसे और क्या बताऊँ ?
जीवन के घटनाक्रम 
बदल देते हैं सोच ।
शायद समझा पाऊँ ।

इस बार मुझे 
जो लेकर गई थी,
अकेली रहती थी
साथ में छोटे बच्चे ।

दिन भर खटती थी,
मुझे पढ़ कर रोती थी,
बातें करती थी मानो 
मेरे सिवा उसको
कोई समझता न था ।

बच्चे जब घर आते
खिलखिलाते, 
अनभिज्ञ माँ के
दैनिक संघर्ष से ।

माँ भी सब भूल
मेरे पन्नों पर 
लिखी कथाओं से,
व्यथा छुपा के,
परी कथा बना के
बच्चों को रोज़ 
सुनाती थी ।

ज़िम्मेदारी अपनी 
समझने लगी थी मैं भी ।
फ़िक्रमंद रहती थी ।
वो जब भी मुझे 
लौटाने की सोचती,
मैं खो जाती ।

पर एक दिन उस पर
धुन हुई सवार ।
ढ़ूँढ़ निकाला मुझे
और बहुत देर तक
हाथों में थामे बैठी रही ।

विदा की वेला आई ।
आंखें छलछलाई ।
तुम्हारी बातें मेरे
बहुत काम आईं ।
मुझमें हिम्मत जगाई ।
तुमने ह्रदय पर रखी
भारी शिला हटाई ।

उस क्षण जाना,
उत्तरदायित्व होता है 
हर किताब का ।
लिखे गए प्रत्येक 
अनुभूत शब्द का ।

ये फ़र्ज़ है हमारा ।
संजीवनी बूटी को
मूर्छित चेतना तक 
अविलंब पहुँचाना ।
अवचेतन में बो देना ।
सुप्त प्राण जगाना ।

लोग जिल्द 
और नाम देख कर
ज़रूर खरीदते होंगे,
या पढ़ने को लेते होंगे किताबें, 
पर पढ़ने-पढ़ते जो थाम ले हाथ,
उसी किताब का मानते हैं कहना,
जनम भर करते हैं जतन ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 16 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (16-03-2022) को चर्चा मंच     "होली की दस्तूर निराला"   (चर्चा अंक-4371)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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  3. बहुत बढ़िया। किताबों से अच्छा कोई दोस्त नहीं लेकिन आजकल ऐसे दोस्त हाथ में कम और ज्यादातर शेल्फ में सजे मिलते हैं।

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    उत्तर
    1. जितने साधन बढ़े, उतना बंट गया आदमी । उस पर हर चीज़ में जल्दी । किताब पढ़ने वाला चैन कहाँ रहा ?
      शुक्रिया, माथुर साहब । आपने खूब कहा !

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  4. बहुत सुंदर किताबों की कहानी किताबों की जबानी।
    सराहनीय सृजन।
    सादर

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  5. बहुर सुंदर भावों को संजोती रचना

    जवाब देंहटाएं
  6. पुस्तकों का दर्द बयां करती हृदय स्पर्शी रचना।

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  7. सार्थक और अच्छी कविता
    बधाई

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