रविवार, 20 दिसंबर 2020

प्रफुल्ल फूल



टहनियों पे खिलते फूल ।
पूजा की टोकरी में रखे फूल ।
माला में पिरोए फूल ।
चित्रों में सजीव फूल ।
किताबों में संजोए फूल ।
गुलदस्तों से झांकते फूल ।
सेहरे की लङियों में फूल ।
वेणी में गुंथे गजरे के फूल ।
मन की टोह लेते फूल ।

मन की टोह लेते फूल ।
मर्म को छू लेते हैं फूल ।

ख़ैरियत का पैग़ाम
लाते हैं फूल ।
दुआओं भरा सलाम
पहुंचाते हैं फूल ।

तरह-तरह से बचा के
रखे जाते हैं अपने-अपने 
जिगरी .. मनपसंद फूल ।
दवा की मानिंद वक़्त पड़े 
काम आते हैं फूल ।
 
और फूलों की सुगंध ?
कैसे सहेजी जाती है ?

आप ही गुपचुप.. स्वतः
प्राणों में समा जाती है,
कल्पना में बिखर जाती है,
जीवन में घुल-मिल जाती है,
प्रफुल्लित फूलों की सुगंध ।

32 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. प्रथम ओंकार से सुप्रभात!
      बहुत - बहुत धन्यवाद ।

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. धन्यवाद,आलोक जी । वास्तव में सृष्टि का सृजन ईश्वर का वरदान है ।

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार, दिग्विजय जी ।
      आपके विचार जानने को उत्सुक हूँ ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. नमस्ते, शास्त्री जी ।
      आपका आशीर्वाद बना रहे ।

      हटाएं
  5. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-12-20) को "शब्द" (चर्चा अंक- 3923) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया, कामिनी जी ।
      चर्चा में शामिल होकर अच्छा लगता है ।

      हटाएं
  6. आहा। पुलकित हृदय का मर्म जानने वाले फूल। अति सुन्दर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपने बहुत प्यारी बात कही सा ।
      सृष्टि का मर्म फूल खिल-खिल कर जताते हैं ।
      संभवतः इसीलिए मानव का मन पढ़ पाते हैं ।

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. शुक्रिया, विभा जी ।
      सुंदर आपकी सराहना । नमस्ते ।

      हटाएं
  8. उत्तर
    1. माथुर साहब, नमस्ते पर आपका स्वागत है ।
      बहुत शुक्रिया ।

      हटाएं
  9. फ़ूलों के विभिन्न आयामों को परिलक्षित करती सुन्दर कृति..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जिज्ञासा जी, धन्यवाद. फूलों से भरा रहे आपका भी दामन.

      हटाएं
  10. सच फूल खुशियों पैगाम है, जीवन की बहार सूचक हैं
    बहुत अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया, कविता जी.
      फूलों से है चमन में बहार
      फूलों पे निछावर है जान

      हटाएं
  11. उत्तर
    1. धन्यवाद, गगन जी.
      २०२१ एक बेहतरीन साल साबित हो सबके लिए.

      हटाएं
  12. फूलों से सजी फूलों सी रचना बेहद खूबसूरत लगी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद, मीना जी.
      फूल ही फूल खिल उठें दिल की राहों में
      जिंदगी में कभी आपकी खुशबू कम ना हो

      हटाएं
  13. सुरभित भावों से गुथी रचना मुग्ध करती है - - अपने आसपास पुष्पमय अहसास होता है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. फूलों-सा अहसास सदा बना रहे.
      धन्यवाद,शांतनु जी.

      हटाएं
  14. Noopur beta kavita bari manmohini lagi tum hamesha Pushp ki bhanti apni kritiyon se jagat ko surabhi lutati raho.

    जवाब देंहटाएं
  15. मन की टोह लेते फूल ।
    मर्म को छू लेते हैं फूल ।

    ख़ैरियत का पैग़ाम
    लाते हैं फूल ।
    दुआओं भरा सलाम
    पहुंचाते हैं फूल ।

    सुंदर..
    सादर प्रणाम

    जवाब देंहटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए