टहनियों पे खिलते फूल ।
पूजा की टोकरी में रखे फूल ।
माला में पिरोए फूल ।
चित्रों में सजीव फूल ।
किताबों में संजोए फूल ।
गुलदस्तों से झांकते फूल ।
सेहरे की लङियों में फूल ।
वेणी में गुंथे गजरे के फूल ।
मन की टोह लेते फूल ।
मन की टोह लेते फूल ।
मर्म को छू लेते हैं फूल ।
ख़ैरियत का पैग़ाम
लाते हैं फूल ।
दुआओं भरा सलाम
पहुंचाते हैं फूल ।
तरह-तरह से बचा के
रखे जाते हैं अपने-अपने
जिगरी .. मनपसंद फूल ।
दवा की मानिंद वक़्त पड़े
काम आते हैं फूल ।
और फूलों की सुगंध ?
कैसे सहेजी जाती है ?
आप ही गुपचुप.. स्वतः
प्राणों में समा जाती है,
कल्पना में बिखर जाती है,
जीवन में घुल-मिल जाती है,
प्रफुल्लित फूलों की सुगंध ।
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रथम ओंकार से सुप्रभात!
हटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद ।
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,आलोक जी । वास्तव में सृष्टि का सृजन ईश्वर का वरदान है ।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार, दिग्विजय जी ।
हटाएंआपके विचार जानने को उत्सुक हूँ ।
सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंनमस्ते, शास्त्री जी ।
हटाएंआपका आशीर्वाद बना रहे ।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर आपकी भावना । धन्यवाद ।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-12-20) को "शब्द" (चर्चा अंक- 3923) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत शुक्रिया, कामिनी जी ।
हटाएंचर्चा में शामिल होकर अच्छा लगता है ।
आहा। पुलकित हृदय का मर्म जानने वाले फूल। अति सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपने बहुत प्यारी बात कही सा ।
हटाएंसृष्टि का मर्म फूल खिल-खिल कर जताते हैं ।
संभवतः इसीलिए मानव का मन पढ़ पाते हैं ।
वाहः
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
शुक्रिया, विभा जी ।
हटाएंसुंदर आपकी सराहना । नमस्ते ।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमाथुर साहब, नमस्ते पर आपका स्वागत है ।
हटाएंबहुत शुक्रिया ।
फ़ूलों के विभिन्न आयामों को परिलक्षित करती सुन्दर कृति..
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जी, धन्यवाद. फूलों से भरा रहे आपका भी दामन.
हटाएंसच फूल खुशियों पैगाम है, जीवन की बहार सूचक हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
शुक्रिया, कविता जी.
हटाएंफूलों से है चमन में बहार
फूलों पे निछावर है जान
उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, गगन जी.
हटाएं२०२१ एक बेहतरीन साल साबित हो सबके लिए.
फूलों से सजी फूलों सी रचना बेहद खूबसूरत लगी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, मीना जी.
हटाएंफूल ही फूल खिल उठें दिल की राहों में
जिंदगी में कभी आपकी खुशबू कम ना हो
सुरभित भावों से गुथी रचना मुग्ध करती है - - अपने आसपास पुष्पमय अहसास होता है।
जवाब देंहटाएंफूलों-सा अहसास सदा बना रहे.
हटाएंधन्यवाद,शांतनु जी.
अति सुन्दर कथ्य ।
जवाब देंहटाएंअमृता जी, ह्रदय तल से आभार.
हटाएंNoopur beta kavita bari manmohini lagi tum hamesha Pushp ki bhanti apni kritiyon se jagat ko surabhi lutati raho.
जवाब देंहटाएंमन की टोह लेते फूल ।
जवाब देंहटाएंमर्म को छू लेते हैं फूल ।
ख़ैरियत का पैग़ाम
लाते हैं फूल ।
दुआओं भरा सलाम
पहुंचाते हैं फूल ।
सुंदर..
सादर प्रणाम