सुबह हो गई है ।
देखो ठंडी हवा बह रही है ।
पहाड़ी चमेली खिली है ।
अमलतास झूम रहा है ।
तमाल ध्यानावस्थित
और भी घना लग रहा है ।
तुलसी के पौधे मानो
संकीर्तन में मग्न
ठाकुर द्वारे पर समवेत
प्रफुल्लित प्रतीक्षारत
हरि को समर्पित
होने को तत्पर ।
वो दूर खड़ी कर्णिका
सोच में डूबी हुई सी
हिलडुल कर जता रही
सेवा व्रत लेने की सहमति ।
हरी घास लग रही
और भी हरी ..
नरम दूब मखमली ।
और अभी-अभी कोई
स्थल कमल के पत्ते पर
रख कर मुट्ठी भर मौलश्री
थमा गया है ।
सहसा सब कुछ बदल गया है ।
आकाश में फड़फड़ाती नवरंगी पतंग
अब सुरों की तरह सध गई है ।
मौसम रहमदिल हो गया है ।
हथेली में खुशबू बस गई है ।
जैसे मेंहदी रचती है ।
क्या हो यदि यही बौराई सुगन्ध
गुपचुप समा जाए
हाथ की रेखाओं में !
बदलें नहीं हाथ की रेखाएं
बस बौरा जाएं !
देखो रंग-रंग के अनगिनत
फूल खिले हैं ।
तुम भी खिलो ।
खाली खानों में रंग भरो ।
आज के दिन का स्वागत करो ।
चहचहाती चिड़ियों का गान सुनो ।
स्वर सरस्वती सुब्बलक्ष्मी का सुप्रभात
झकझोर कर जगा रहा है ।
जीवन में रस घोल रहा है ।
बिजली की तरह कौंध रहा है ।
तुम भी कौंधो !
भ्रमर बन फूलों का मधु रस चखो ।
पराग हृदयंगम करो ।
मौलश्री की बौराई सुगंध बनो ।
सुबह हो गई है, उठो ।
bahut hi sundar...mere birthday par apne itni pyari kavita likhi hai hayyy...tulsi amalatash sab hain.. khaskar ki humare pyari कर्णिका :) :)
जवाब देंहटाएंसुबह हो गयी है ,उठो ! बहुत सुंदर नुपुरम जी | अत्यंत प्यारी रचना और एक उदीयमान दिवस का अति सुंदर शब्दांकन ! ये पंक्तियाँ बहुत ही मनभावन लगीं --
जवाब देंहटाएंतुलसी के पौधे मानो
संकीर्तन में मग्न
ठाकुर द्वारे पर समवेत
प्रफुल्लित प्रतीक्षारत
हरि को समर्पित
होने को तत्पर !!
हार्दिक शुभकामनाएं सुंदर रचना के लिए |
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रभाती गीत।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 05 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंउठ जाग मुसाफिर भोर भई ! सुंदर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंप्रकृति के शांत किंतु भव्य रूप का सुमधुर शब्दों में चित्रण। बहुत सुंदर रचना जिसे पढ़कर सुबह का पूरा दृश्य नेत्रों के सामने साकार होता चला जाता है।
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