अब समय आ गया है
पुराने बहीखाते बंद कर
नई जिल्द बंधवाने का ..
पुरानी सिलाई उधेड़ कर
नए धागों से भविष्य बुनने का ।
द्वार पर खड़ा है नव संवत्सर
अभिवादन करें इस बार हम
सविनय देहली पूजन कर ।
सब कुछ ठहर गया है ।
समय चकित खड़ा है ।
अब समय आ गया है,
सारे नियम बदलने का ।
विस्मृत पाठ दोहराने का ।
अब समय आ गया है
सजग सचेत सतर्क होने का ।
स्वयं से प्रश्न पूछने का,
क्या हमें यही चाहिए था
जो विनाश अब मिला है ?
या लक्ष्य भेद हो न सका ?
ध्येय से ध्यान भटक गया ।
अब समय आ गया है
आदतों को बदलने का ।
व्यवधान दूर करने का,
समाधान ढूढने का ।
मनमानी करना काम ना आया ।
प्रकृति ने यह सबक सिखाया,
सीखो मानव आदर करना,
प्रकृति और जीवन चक्र का ।
समय रहते जो मानव समझ गया,
मंगल आगमन होगा नव संवत्सर का ।
सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर की बधाई हो।।
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घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना से बचें
धन्यवाद शास्त्रीजी ।
हटाएंनव संवत्सर आपके लिए भी शुभ हो ।
बहुत कुछ बदलेगा इस साल ।
" अब समय आ गया है
जवाब देंहटाएंसजग सचेत सतर्क होने का ।
स्वयं से प्रश्न पूछने का,
क्या हमें यही चाहिए था
जो विनाश अब मिला है ?
या लक्ष्य भेद हो न सका ?
ध्येय से ध्यान भटक गया ।"
वाह!उम्दा
आँचल जी, नमस्ते पर आपका हार्दिक स्वागत है.
हटाएंसहृदय सराहना के लिए धन्यवाद.
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (27-03-2020) को नियमों को निभाओगे कब ( चर्चाअंक - 3653) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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आँचल पाण्डेय
धन्यवाद, आँचल जी.
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर शुभ हो .
अब समय आ गया है
जवाब देंहटाएंआदतों को बदलने का ।
व्यवधान दूर करने का,
समाधान ढूढने का ।
बहुत सुंदर सृजन ,सादर नमन
धन्यवाद कामिनीजी.
हटाएंअचानक बहुत कुछ बदल गया है.
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ओंकारजी. पढ़ते रहियेगा.
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