शुक्रवार, 20 मार्च 2020

दीवार से सटा फूल खिला



दीवार से सट कर 
खिला हुआ एक पौधा
कैमरा फ़्रेम के बीचोंबीच
अचानक आ खड़ा हुआ,
महा-जिज्ञासु बच्चे सा
टुकुर-टुकुर ताकता हुआ ।
तब हमारा भी ध्यान गया ।

क्यों दीवार से सट कर 
खिला हुआ है ये पौधा ?
सामने तो खुला मैदान था ..
क्या अबीर-गुलाल जब उड़ा
हुड़दंग से बचता हुआ
जिसकी मुट्ठी में रंग था
छोटा-सा बच्चा
ईंट की दीवार से लग कर
खड़ा हो गया ? या ..

क्या कोई नन्हा रूठ कर 
मुँह फुला कर
सबसे दूर जा कर
मुँह फेर कर
जा खड़ा हुआ है ?
ताकि गुस्सा भी ज़ाहिर हो..
नज़रों से ओझल भी ना हो..
कोई टॉफी देकर बहला ले !
खुशामद कर के मना ले !

रूठने के मासूम बहानों में 
भोला बचपन छलकता है ।
अनायास ही खिले फूल में
अंतरतम खिल उठता है ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ा मासूम दिख रहा है.....
    हवा-पानी बराबर मिले
    तो बचपन उसका खिले

    बहुत सुन्दर

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२१-०३-२०२०) को "विश्व गौरैया दिवस"( चर्चाअंक -३६४७ ) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  3. वाह ! दीवार में खिले इस फूल को धरती ने जगह नहीं दी तो आकाश ने उसे थाम लिया

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  4. वाह!!!!
    दीवार में खिले फूल के साथ आपकी लेखनी भी खिल उठी...।

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  5. वाह !! लाज़बाब सोच और सृजन ,सचमुच ऐसा कुछ नजर आ रहा हैं जैसे कोई रूठा बच्चा हो ,सादर नमन

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