सोमवार, 6 जनवरी 2020

गुलाबी झुमके




झुमके ले लो !
बिटिया झुमके ले लो !
गुलाबी ठंड में
गुलाबी दुपट्टे संग
खूब फबेंगे तुम पर ।
गुलाब सी खिल उठोगी
बीबी इन्हें पहन कर !

गुलाबी रंग के क्या कहने !
और उस पर गुलाबी झुमके !
चेहरे की रंगत बदल देंगे !
गाल ग़ुलाबी कर देंगे !
जब हौले-हौले हिलेंगे
जी की बतियाँ कह देंगे ।

पहन के तो देखो
फिर चाहे मत लीजो
देखने के भाव ना लगते !
पहने तो फिर ना उतरते !
टूटेंगे तो नए मिलेंगे ।
पर फीके ना पड़ेंगे !
बड़े ग़ज़ब के हैं ये झुमके !
पिया के मन में जा अटकते !

बड़े काम के हैं ये झुमके !
बहरूपिये झुमके !
चाहे पर्स में बांध लो !
चाबी का गुच्छा बना लो !
या परांदे में गूंथ लो !
मेरी बात मानो !
इन्हें रख ही लो !

जब इन्हें पहन कर
किसी के मन भाओगी,
तो भौजी मुझे भी 
याद करना !

गुलाबी रंग तो है ही
दुलार और मनुहार का !
खुशियों का शगुन हैं ये  ..
जो अब हुए तुम्हारे
गुलाबी झुमके !

9 टिप्‍पणियां:

  1. क्या ख़ूब लिखा है कवियत्री महोदया। बचपन की पाठ्य पुस्तक की प्यारी कविताओं की याद आ गई आज तो। rejuvenating poem

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    1. प्यारी लगी तो बचपन के दिनों की तरह याद कर के सुनानी पड़ेगी ! : )
      @anmolmathur शुक्रिया !
      glad to know you feel rejuvenated !
      looking at the danglers in my garden !

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  2. So beautiful words...I could imagine the whole scene with just the words only...

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    उत्तर
    1. thank you leo !
      that's a huge compliment ! so kind of you to say that !
      welcome to namaste. please do keep visiting and expressing your thoughts on my thoughts ! : )

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  3. शुक्रिया अनीता जी ।
    फूल,बाती,सपने,सब एक साथ मुखरित होंगे ।

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  4. सुंदर रचना.... आपकी लेखनी कि यही ख़ास बात है कि आप कि रचना बाँध लेती है

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    उत्तर
    1. इतनी अच्छी बात कहने के लिए बहुत शुक्रिया ...आभार,संजय भास्करजी.

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  5. उत्तर
    1. बड़ा सुन्दर नाम है. ज़रूर. निमंत्रण के लिए धन्यवाद.

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