और इनसे मिलिए !
माई के हाथों का बुना
लाल स्वेटर पहने
हरा गुलूबंद लपेटे
तबीयत से
इतरा रहे हैं !
बन-ठन के
गुलफाम बने
चले जा रहे हैं !
श्रीमान गुलाब राय की
बेफ़िक्र मुस्कान में,
गरमाहट,
गुनगुनी धूप की नहीं..
माई की
ममता से
डबडबाई आंखों,
काम कर-कर के
खुरदुरी हुई हथेलियों
और ऊन-सलाई सी
दक्ष उंगलियों की है !
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ज्योति जी.
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
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