हँसी आ गई
देख कर
बिजली के तार पर
नट की तरह
सूरज दादा को
संतुलन बनाते हुए !
देख कर
बिजली के तार पर
नट की तरह
सूरज दादा को
संतुलन बनाते हुए !
इंसान की
क्या बिसात !
बड़े-बड़ों को
झंझटों में फंस कर
झूलते तारों में
उलझ कर
डगमगाते देखा ।
क्या बिसात !
बड़े-बड़ों को
झंझटों में फंस कर
झूलते तारों में
उलझ कर
डगमगाते देखा ।
घटनाक्रम और
कालचक्र के पेंच ने
दुर्दांत टेढ़ों को
सीधा कर दिया ।
समय की
डुगडुगी बजा कर
चुटकी बजाते
सिखा दिया
नट का नाच ।
कालचक्र के पेंच ने
दुर्दांत टेढ़ों को
सीधा कर दिया ।
समय की
डुगडुगी बजा कर
चुटकी बजाते
सिखा दिया
नट का नाच ।
जब विकल्प ना हो
और गिरना ना हो
तो आ ही जाता है
इकहरी रस्सी पर
नट की तरह
दम साध कर
संभल कर चलना ।
और गिरना ना हो
तो आ ही जाता है
इकहरी रस्सी पर
नट की तरह
दम साध कर
संभल कर चलना ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-10-2019) को "झूठ रहा है हार?" (चर्चा अंक- 3482) पर भी होगी। --
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
श्री रामनवमी और विजयादशमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार शास्त्रीजी.
हटाएंविजयादशमी की शुभकामनायें आपको भी.
जो नट नागर सूरज और चंद्रमा को नाच नचाता है, जो कनिष्ठिका पे पर्वत नचाता है, वो ही आपको, मुझको, हम सब को नचा रहा है। अद्भुत रचना
जवाब देंहटाएंआपके भाव और शब्दों ने विचार की जड़ों को सींच दिया.
हटाएंअब नट नागर से निवेदन है ....
अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल ...
वाह नुपुर जी बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंमन की वीणा की सराहना सुहाती है.
हटाएंधन्यवाद.
हार्दिक आभार, पम्मीजी. एक लम्बे अरसे के बाद पाँच लिंकों में चुने जाने का सौभाग्य मिला. कृतार्थ हूँ. उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद.
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