शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

हर नया दिन





हर नया दिन 
एक फूल की तरह
खिलता है,
और कहता है  . .
उठो जागो !
बाहर चलो !
शुरू करो
कोई अच्छा काम,
लेकर प्रभु का नाम 
आगे जो होगा
सो होगा,
अभी तो
कोशिश करो,
बन जाएं बिगड़े काम ।

देखो, 
मुझे भी पता है ।
कुछ देर की छटा है ।
जो खिलता है
मुरझाता है ।
पर जब तक
खिलता है,
मुस्कुराता है ।
भीतर जंगले के 
गमले में,
या मिट्टी की क्यारी में ।
जूड़े में सजे,
या अर्पित हो
देव के चरणों में ।
सेहरे में झूले
या आप ही
मिट्टी में मिल जाये ।
चाहे किताबों में
रखा सूख जाए ।
फूल जब तक 
खिलता है,
मुस्कुराता है 
फिर स्मृति में
सुगंध बन बस जाता है ।

हर नया दिन
फूल की तरह
खिलता है 
तुम भी खिलो 
जीवन के हर पल में 
सुगंध बनो,


बसो सबके मन में ।


20 टिप्‍पणियां:

  1. Kya khoob likha hai. Chhoti si kavita aur batein badi-badi. Beshak phool ki zindgi chaar peher ki hoti hai. Iss chhoti si zindagi mei hone ka maksad poora kar jata hai chhota sa phool, chahe nursery ke bachhe ke haath mein good morning teacher ke roop mei ho, chahe radha govind ke phool shringaar mei ho, ya dadaji ki kursi ke side wali table pe mehekta mogra. Kabhi pehle pyaar ke propose ki yaad mei ya Kabhi kitaab ke beech mei pada sookha phool kisi sumadhur din ki yaad dilaye.

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    1. anmol mathur जी लोग नहले पे दहला मारते हैं . आपने कविता इतने मन से पढ़ी कि कविता पर कविता लिख दी . इतने स्नेह से सींचा जाये तो मन भी फूल की तरह खिल उठता है . ये बात जिसने समझी, पार हो गया .

      बाबू मोशाय के आनंद की याद आ गई .

      बाबू मोशाय .. जिंदगी बड़ी होनी चाहिए , लम्बी नहीं .

      असीम आभार .

      हटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (29-04-2017) को "कर्तव्य और अधिकार" (चर्चा अंक-2955) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 29 एप्रिल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. अवश्य . रचनाओं का आनंद लेने आना ही होगा .
      शामिल करने के लिए आभारी हूँ .

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  4. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ३० अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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  5. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पेन्सिल में समाहित सकारात्मक सोच : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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    उत्तर
    1. आदरणीय सेंगरजी बहुत धन्यवाद बुलेटिन में सम्मिलित करने के लिए.
      क्षमा करें, आज ही सन्देश देखा.
      बुलेटिन बहुत अच्छा लगा.

      ये बीज वाली पेंसिल लाजवाब है.
      एक नई क्रांति का आग़ाज़ है.

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  6. ओह नूपुर
    युही खिलती रहो
    महकती राहो

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    1. आप अपने स्नेह से यूँही सींचती रहियेगा.
      खुशबू खुद-ब-खुद ज़हन में खिलती रहेगी.

      आपका हार्दिक आभार

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  7. I'm very happy to read this on my birthday today. Thank you ma'am m honored !!

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