गुरुवार, 1 मार्च 2018

आज ही होली है !





होली 
बहुत कुछ दे जाती है ।

दुःख देती हैं 
जो मान्यताएं ,
उन्हें 
होम कर देने का 
साहस ।

मनमोहक रुपहले रंग 
जीवन में, 
निरंतर घोलने की 
चाहत ।

झूठी अपेक्षाएं ,
थके-हारे मन के 
क्लेश,
निरर्थक दंश,
सब ध्वस्त करने का 
मनोबल ।

होलिका दहन में 
भस्म करते हुए 
टूटा . . पुराना . . बेकार का बोझा,
समस्त दुराग्रह . . पूर्वाग्रह . .  
बहुत कुछ साथ ले जाती है 
होली ।
  
मनाओ मन से तो 
एकनिष्ठ लगन की लौ 
है होली ।
खेलो सरल भाव से तो 
निश्छल रंगों का 
पावन पर्व है होली ।



6 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' ०५ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत आभार आपका ध्रुव जी शामिल करने के लिए । बड़ी दिलचस्प और विविध रंगों से सजी प्रस्तुति । बधाई आपको और सभी रचनाकारों को ।

      हटाएं
  2. सही कहा है ...
    आज जरूरी है मन का साफ़ होना विशेष कर होली खेलते हुए ... इस त्यौहार को कई लोग गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं ...
    होली के रंगों में छुपे जीवन के रंग ... सुन्दर रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Digambar Nasha ji धन्यवाद ।
      शायद इसलिए ही ...
      सूरदास कारी कामर पै चढ़ै ना दूजौ रंग ।

      हटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए