शनिवार, 6 जनवरी 2018

सलीका


तमाम 
मिले - जुले रंगों की 
बेतरतीब 
आड़ी - तिरछी रेखाओं में भी  
मनभावन 
तस्वीर नज़र आने लगे  . . 

मेले में खरीदी लाल - हरी 
कांच की चूड़ियां,
चटक चुनरी लहरिया, 
मेहँदी रची हथेलियां,
मिर्च कुतरता तोता,
हरी घास,
अबीर गुलाल,
गेंदा और गुलाब,  
और जो कहिये जनाब !
याद आने लगे !

कोई अच्छी - सी बात सूझे,  
मन 
जीवन का छंद 
गुनगुनाने लगे,
समझिए 
आपको सलीका आ गया !
मुबारक हो !
आपको जीना आ गया !

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत ही सराहनीय प्रयास ।
      सूचित करने के लिए धन्यवाद ।
      शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'गुरुवार' ११ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद . अपने पन्ने पर जगह देने के लिए .

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. आपको बात अच्छी लगी यह जान कर आनंद हुआ .
      धन्यवाद Sudha Devrani जी .

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. शुक्रिया Ritu Asooja Rishikesh जी.
      आपको अच्छी लगी रचना ,
      जान कर हर्ष हुआ .
      पढ़ती रहिएगा .
      कृपया .

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. हार्दिक आभार Rajesh Kumar Rai जी .
      नमस्ते करने आते रहिएगा .

      हटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए