आज तेरा दिन है ।
बड़ा दिन है ।
जो औरों का
दुःख-दर्द अपना कर
सूली पर चढ़ गया,
उसने तुझे भेजा है
आज के दिन।
तू दुनिया को
बड़े दिन का
तोहफ़ा है ।
अपनी पीड़ा
आत्मसात कर
दुनिया को हँसाना
तेरी बेबाक़ अदा है ।
लोगों को हँसा,
अपना ग़म भुला
और ख़ुशी के अफ़साने लिख . .
जिस तरह दुःख को हँसी में उड़ाना
तेरा अंदाज़े - बयां है ।
लिख ।
रोज़ अपने मन की बात लिख ।
कागज़ पे और दिल पे . .
और अपने - आप से
ज़िद कर ।
ज़िद कर
दुनिया को हँसते - खेलते
बेहतर बनाने की ।
हर हाल में मुस्कुराने की
ज़िद कर ।
ज़िद कर अपनों से
छोटी - छोटी चीज़ों की !
मचल जा !
ज़िद कर और मांग
बुढ़िया के बाल,
कंचे, लेमन चूस,
सेंट वाला रबर,
अटरम शटरम,
टपरी की चाय,
सींग दाने की पुड़िया,
भाड़ के भुने चने,
बुलाने का कोई
पाजी सा नाम,
रहीम के दोहे,
मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से . .
अपनों से मांग ।
बल्कि सपने,
चाँद - सितारे भी माँग . .
अपने खुदा से मांग ।
जब जी चाहे,
अपनों से
कस के लिपट जा
और पीठ पर
एक धौल मांग,
कान का उमेंठना मांग,
डाँट - फटकार मांग
और ज़िद कर !
ज़िद कर
गाढ़े अपनेपन की
मिसरी में पगे,
खरे - खरे
दो रूखे बोल मांग !
उनके मन के
अनचीन्हे कोने में
थोड़ी - सी जगह मांग !
ज़िद कर !
हक़ जता और
अपनों से
ज़िद कर !
आज तेरा दिन है ।
बड़ा दिन है ।
बड़े - बड़े काम कर,
पर छोटा बन कर
लड़ - झगड़ . .
कोई मासूम - सी
ज़िद कर !
बड़ा दिन है ।
जो औरों का
दुःख-दर्द अपना कर
सूली पर चढ़ गया,
उसने तुझे भेजा है
आज के दिन।
तू दुनिया को
बड़े दिन का
तोहफ़ा है ।
अपनी पीड़ा
आत्मसात कर
दुनिया को हँसाना
तेरी बेबाक़ अदा है ।
लोगों को हँसा,
अपना ग़म भुला
और ख़ुशी के अफ़साने लिख . .
जिस तरह दुःख को हँसी में उड़ाना
तेरा अंदाज़े - बयां है ।
लिख ।
रोज़ अपने मन की बात लिख ।
कागज़ पे और दिल पे . .
और अपने - आप से
ज़िद कर ।
ज़िद कर
दुनिया को हँसते - खेलते
बेहतर बनाने की ।
हर हाल में मुस्कुराने की
ज़िद कर ।
ज़िद कर अपनों से
छोटी - छोटी चीज़ों की !
मचल जा !
ज़िद कर और मांग
बुढ़िया के बाल,
कंचे, लेमन चूस,
सेंट वाला रबर,
अटरम शटरम,
टपरी की चाय,
सींग दाने की पुड़िया,
भाड़ के भुने चने,
बुलाने का कोई
पाजी सा नाम,
रहीम के दोहे,
मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से . .
अपनों से मांग ।
बल्कि सपने,
चाँद - सितारे भी माँग . .
अपने खुदा से मांग ।
जब जी चाहे,
अपनों से
कस के लिपट जा
और पीठ पर
एक धौल मांग,
कान का उमेंठना मांग,
डाँट - फटकार मांग
और ज़िद कर !
ज़िद कर
गाढ़े अपनेपन की
मिसरी में पगे,
खरे - खरे
दो रूखे बोल मांग !
उनके मन के
अनचीन्हे कोने में
थोड़ी - सी जगह मांग !
ज़िद कर !
हक़ जता और
अपनों से
ज़िद कर !
आज तेरा दिन है ।
बड़ा दिन है ।
बड़े - बड़े काम कर,
पर छोटा बन कर
लड़ - झगड़ . .
कोई मासूम - सी
ज़िद कर !
उत्तम.
जवाब देंहटाएंwow very nice..happy new year2017
जवाब देंहटाएंwww.shayariimages2017.com