होता है सब कुछ नया रहती है नीव पुरातन कली नई फूल नए सब देती रस जड़ें पुरातन यह तन नया मन नया रहते माँ बाप पुरातन नएपन में भूले न उन्हें हमारा यह नव मन |
नवसंवत्सर की शुभकामनायें, मेरी तरफ़ से भी। यह तो आरंभ है। मगर Happy New Year की तरह केवल एक साल का नहीं। यह आरंभ हो सकता है, एक युग का भी, एक और सत् युग का, या एक नई सृष्टि का भी। हम जैसे भी रच लें, जिसे भी रच लें। एक युग का आरंभ तब ही होता है, जब पिछला पूरी तरह समाप्त हो चुका होता है। सो, समय का पन्ना कोरा ही है। जो चाहे लिख लो। एक नया आरंभ दो। यह कविता तो है नहीं, एक प्रार्थना ज़रूर है। नये जीवन की। हर नया पल तमाम संभावनाओं से भरा है, आशाओं से, और अवसरों से। हे परमपिता परमेश्वर, हमें शक्ति दे, और इस नई शुरुआत के लिये हमें सजीव बना। विचारशील बना। कि हम अवसर का लाभ उठायें। कि हम कुछ भी नष्ट न करें। “या तुमने नया छंद रचा है” से आप का क्या आशय है नूपुर, मुझे नहीं पता। मगर मेरे हृदय में तो सदा श्री कृष्ण हैं। मुझे तो एक ही विचार आया, कि एक नई धुन उस की वीणा से फूट पड़ी है। एक नया संगीत हर सू फैल रहा है, उसके आगमन का। हर तरफ बस प्रेम ही प्रेम है। वह फिर से आ रहा है। एक क्षण को आँख बंद कर, और देख तो। उसका प्रकाश बिखर रहा है। हमने तो ऐसा कभी देखा न था। मौसम का तेवर नया ही तो है। अति सुंदर। बहुत सुंदर कविता है बिटिया। “हे ईश्वर। आज मैं तुझसे, तुझको ही मांगता हूँ। इस बच्ची के हृदय में उतर जा, और वहीं बस जा। हे ईश्वर, आज के दिन, इसको, और मुझको, और सब को आशीर्वाद दे। और मैं तेरे नाम में इस कविता की पंक्तियों को आशीर्वाद देता हूँ। जिसने भी इसे पढ़ा है, तेरी नई धुन उस तक ज़रूर पहुंचेगी। तेरा प्रेम उसके साथ होगा।” खुश रह बिटिया। लिखती रह। लिखती रह॥
होता है सब कुछ नया
जवाब देंहटाएंरहती है नीव पुरातन
कली नई फूल नए सब
देती रस जड़ें पुरातन
यह तन नया मन नया
रहते माँ बाप पुरातन
नएपन में भूले न उन्हें
हमारा यह नव मन |
नवसंवत्सर की शुभकामनायें, मेरी तरफ़ से भी। यह तो आरंभ है। मगर Happy New Year की तरह केवल एक साल का नहीं। यह आरंभ हो सकता है, एक युग का भी, एक और सत् युग का, या एक नई सृष्टि का भी। हम जैसे भी रच लें, जिसे भी रच लें। एक युग का आरंभ तब ही होता है, जब पिछला पूरी तरह समाप्त हो चुका होता है। सो, समय का पन्ना कोरा ही है। जो चाहे लिख लो। एक नया आरंभ दो। यह कविता तो है नहीं, एक प्रार्थना ज़रूर है। नये जीवन की। हर नया पल तमाम संभावनाओं से भरा है, आशाओं से, और अवसरों से। हे परमपिता परमेश्वर, हमें शक्ति दे, और इस नई शुरुआत के लिये हमें सजीव बना। विचारशील बना। कि हम अवसर का लाभ उठायें। कि हम कुछ भी नष्ट न करें। “या तुमने नया छंद रचा है” से आप का क्या आशय है नूपुर, मुझे नहीं पता। मगर मेरे हृदय में तो सदा श्री कृष्ण हैं। मुझे तो एक ही विचार आया, कि एक नई धुन उस की वीणा से फूट पड़ी है। एक नया संगीत हर सू फैल रहा है, उसके आगमन का। हर तरफ बस प्रेम ही प्रेम है। वह फिर से आ रहा है। एक क्षण को आँख बंद कर, और देख तो। उसका प्रकाश बिखर रहा है। हमने तो ऐसा कभी देखा न था। मौसम का तेवर नया ही तो है। अति सुंदर। बहुत सुंदर कविता है बिटिया।
जवाब देंहटाएं“हे ईश्वर। आज मैं तुझसे, तुझको ही मांगता हूँ। इस बच्ची के हृदय में उतर जा, और वहीं बस जा। हे ईश्वर, आज के दिन, इसको, और मुझको, और सब को आशीर्वाद दे। और मैं तेरे नाम में इस कविता की पंक्तियों को आशीर्वाद देता हूँ। जिसने भी इसे पढ़ा है, तेरी नई धुन उस तक ज़रूर पहुंचेगी। तेरा प्रेम उसके साथ होगा।”
खुश रह बिटिया। लिखती रह। लिखती रह॥