रविवार, 6 अप्रैल 2014

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घर में जब बच्चों की नयी 
स्टडी टेबल आई,
तो मन में एक विचार आया 
इस मेज़ को कैसे जाए सजाया ।

एक बेटा है मेरा और एक बेटी, 
दोनों इतने खुश थे  . . पूछो नहीं !

दुकानों के जब दर्जन भर दौरे कर आयी,
तब जा के दोनों के लिए दो मूर्तियां लायी ।
एक थी माँ दुर्गा, एक माँ सरस्वती,
एक - एक मूर्ति दोनों को थमाई ।

बोले बच्चों के पापा  . . 
एक बात समझ नहीं पाया,
तुम बेटे के लिए माँ सरस्वती 
बेटी के लिए माँ दुर्गा क्यों लाई ?

मन में जो बात थी वह कह सुनाई, 
बच्चों के पिता को हौले से समझाई ।

बेटे पर माँ सरस्वती का आशीर्वाद बना रहे,
माँ , बहन, पत्नी , हर स्त्री का आदर करे ,
हर हाल में उसकी सदबुद्धि बनी रहे ।

बेटी को माँ दुर्गा का आशीष मिले,
हर संघर्ष में उसका मस्तक ऊंचा रहे,
किसी भी परिस्थिति में हिम्मत न टूटे ।

जीवन में जब परीक्षा का क्षण आये, 
मेरे बच्चे आत्म-गौरव और गरिमा की 
धारदार कसौटी पर हमेशा खरे उतरें ।
                   

5 टिप्‍पणियां:

  1. ओम प्रकाश शर्मा9 जुलाई 2014 को 11:03 am बजे

    देखो एक माँ कितना सोचती है
    संतान में गुणों को खोजती है,
    बच्चे ही होते हैं उसका संसार
    भूलना न कभी भी उसका प्यार|

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  2. ओमप्रकाशजी आपकी छोटी सी कविता ने चार चाँद लगा दिये ! आभार । पढ़ते रहिएगा । कुछ कहते रहिएगा ।

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  3. देवी का एक नाम है आब्रहमा कीट जननी। जिन्होंने ने विश्व में, ब्रह्मा से लेके कीट तक को जन्म दिया है। और उसी माता से संतान के हृदय और बुद्धि की रक्षा की कामना, अद्भुत है।

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