बुधवार, 25 सितंबर 2013

नमस्कार


लो आ गई 
ओस की बूंदों सी,
पवित्र और पारदर्शी
एक नयी सुबह 
ताज़ी नमकीन !

जैसे खुशखबरी का तार । 
जैसे अच्छी ख़बरों से भरा अखबार ।   
जैसे बारिश की ठंडी फुहार । 
जैसे नदी किनारे भीनी - भीनी बयार । 
जैसे पुराना आम का अचार । 
जैसे सहेलियों में मीठी - सी तकरार । 
जैसे रेडियो पर आज के मुख्य समाचार । 
जैसे बूढ़ी दादी का लाड़ - दुलार । 
जैसे बच्चों की गुड़ियों का संसार । 
जैसे गाय के बछड़े की पुकार । 
जैसे खिले - खिले फूलों की बहार । 
जैसे द्वारे पर स्वागत का नेग - चार । 

जैसे जीवन का सत्कार । 
ऐसी सुबह को, 
जागने वाले का 
नमस्कार !



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुछ अपने मन की भी कहिए