रेशम के कच्चे धागे चार।
इन्ही चार धागों में सिमटा
भाई - बहन का प्यार।
भाई - बहन का प्यार।
लो आया राखी का त्यौहार !
भाई के संग
खेल - खेल कर
हुई बड़ी।
भाई के संग
झगड़ - झगड़ कर
हुई खड़ी।
भैया की ये बहन बड़ी अलबेली !
अपने भैया की घनी लाडली बावली !
रेशम के कच्चे धागे चार।
इन्ही चार धागों में सिमटा
भाई - बहन का प्यार।
भाई - बहन का प्यार।
लो आया राखी का त्यौहार !
बहन की आँखों का तारा।
भाई , बहन को बहुत ही प्यारा।
साथ - साथ में ऊधम करना ,
कभी रुलाना, कभी मनाना।
बहन का भाई बड़ा अलबेला।
सुख - दुःख का साथी, बन्धु गर्वीला !
रेशम के कच्चे धागे चार।
इन्ही चार धागों में सिमटा
भाई - बहन का प्यार।
भाई - बहन का प्यार।
लो आया राखी का त्यौहार !
दोनों ने मिल कर की
बदमाशियाँ !
दोनों ने आपस में बाँटी
कहानियाँ ।
इन दोनों की साझी
छुटपन की नादानियाँ।
इन दोनों ने समझीं ,
रिश्तों की ज़िम्मेदारियाँ ।
रेशम के कच्चे धागे चार।
इन्ही चार धागों में सिमटा
भाई - बहन का प्यार।
भाई - बहन का प्यार।
लो आया राखी का त्यौहार !
न मांगे कभी कोई अधिकार ,
सहज ऐसा भाई - बहन का प्यार।
ये रिश्ता मानो कोई उपहार ,
संजोये मन जिसे बार - बार।
रेशम के कच्चे धागे चार।
इन्ही चार धागों में सिमटा
भाई - बहन का प्यार।
भाई - बहन का प्यार।
लो आया राखी का त्यौहार !
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