शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं ।
स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
बुधवार, 24 जुलाई 2013
खिड़की
खोल दो मन की खिड़की । बाहर की हवा आने दो . खिड़की के हिस्से का आसमान धूप के रास्ते उतर आने दो ज़मीन पर . धूल, धुंआ , बारिश की बौछार , मिटटी की महक बस जाने दो भीतर . खिड़की का खुलना है एक प्रबल संभावना, जीवन के चमत्कार की झलक मिल जाने की .
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जवाब देंहटाएंsurajji,
जवाब देंहटाएंsarahna ke liye apka dhanywad.