शनिवार, 8 जून 2013

सबसे बड़ी खबर





जीवन की उठा-पटक 
एकरस .
हलचल नहीं दूर तक .
नीरस .
हर दिन अपने को दोहराता हुआ .
वही पुराने पाठ का रट्टा लगता हुआ .
ऐसे में हम सभी 
ढूंढते है सनसनी 
टीवी रिपोर्ट में ..
अखबार में छपी 
वारदात में ..
जीने का रोमांच .
चालू फ़िल्मी गीतों में 
इस पल का रोमांस .
क्या ज़रा भी नहीं 
हमारी अपनी ज़िन्दगी 
दिलचस्प ?
हमारी अपनी खबर 
भी तो बन सकती है 
इस घंटे की 
सबसे बड़ी खबर !




4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह पोस्ट आज के (०८ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - हबीब तनवीर साहब - श्रद्धा-सुमन पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  2. लो भईया यह तो पहले ही बन गई बड़ी ख़बर। ब्लाग बुलेटिन पर छप गई। अब हम क्या बोलें। आज कल जिन बातों पर बड़ी ख़बर बनती है, हमारी बड़ी ख़बर न ही बने, तो ही भला है।

    एकरस और नीरस का प्रयोग अच्छा लगा। अपने जीवन का अर्थ न ढूंढ पाने की बेचैनी साफ़ झलक रही है इन पंक्तियों में। यह परम सत्य भी कि आज हमें जीवन का रोमांच किन बातों में नज़र आता है। अपने आदर्शों के चलते मर्यादा की सीमा पार न कर सकने की बेबसी में हम अपने जीवन का अर्थ ही खोते जा रहे हैं। भावनाएं बिखरी पड़ी हैं। कविता कामयाब है। खुश रहिये। लिखती रहिये।

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