शनिवार, 16 मार्च 2013

उसकी आँखों की चमक



उसकी आँखों की चमक 
कौंधती है जब-तब मन में,
गड़ जाती है कील की तरह ,
कुरेदती है  मन के भाव ,
पूछती है सवाल अटपटे 
उसकी आँखों की चमक .

उसकी आँखों की चमक 
कौंधती है जब-तब मन में ,
हलचल मचाती है पारे की तरह ,
फिसलती जाती है बेझिझक ,
अंतर्मन की गहराई में
उसकी आँखों की चमक .

उसकी आँखों की चमक 
कौंधती है जब-तब मन में ,
उसकी ही नाक की लौंग की तरह,
उजास भर देती है क्षण भर ,
और छिप जाती है पलक झपकते 
उसकी आँखों की चमक .   



4 टिप्‍पणियां:

  1. Noopur akhon ki Chamak mein Khushi aur gham ke asoon bhi chep ja te hain! Beautiful words ! Pls publish your book on Poetry!

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  2. हाँ कविता . इतने प्यार से पढने के लिए शुक्रिया .

    नम आँखों का पानी,
    नदी की तरह होता है .
    ख़ुशी और ग़म दोनों की किरणें,
    नदी के जल में झिलमिलाती हैं .

    जिस दिन किताब आएगी आपको पहले बताया जायेगा ताकि आप उसकी बिक्री बढ़ाएं !!

    : )

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