उसकी आँखों की चमक
कौंधती है जब-तब मन में,
गड़ जाती है कील की तरह ,
कुरेदती है मन के भाव ,
पूछती है सवाल अटपटे
उसकी आँखों की चमक .
उसकी आँखों की चमक
कौंधती है जब-तब मन में ,
हलचल मचाती है पारे की तरह ,
फिसलती जाती है बेझिझक ,
अंतर्मन की गहराई में
उसकी आँखों की चमक .
उसकी आँखों की चमक
कौंधती है जब-तब मन में ,
उसकी ही नाक की लौंग की तरह,
उजास भर देती है क्षण भर ,
और छिप जाती है पलक झपकते
उसकी आँखों की चमक .
Loved the akhon ki chamak!!
जवाब देंहटाएंprotsahan ke liye dhanyawad
जवाब देंहटाएंNoopur akhon ki Chamak mein Khushi aur gham ke asoon bhi chep ja te hain! Beautiful words ! Pls publish your book on Poetry!
जवाब देंहटाएंहाँ कविता . इतने प्यार से पढने के लिए शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंनम आँखों का पानी,
नदी की तरह होता है .
ख़ुशी और ग़म दोनों की किरणें,
नदी के जल में झिलमिलाती हैं .
जिस दिन किताब आएगी आपको पहले बताया जायेगा ताकि आप उसकी बिक्री बढ़ाएं !!
: )