बच्चे
बड़े बहुत उलझाते हैं
मुझको बच्चे ही भाते हैं
बच्चों की भोली बातों से
सारे शिकवे मिट जाते हैं
जब हिम्मत टूट जाती है
बच्चे उम्मीद बंधाते हैं
जब बादल छा जाते हैं
बच्चे सूरज बन जाते हैं
....................................
जब चाँद नहीं होता नभ में
बस तारे टिमटिमाते हैं
तब घर के अँधेरे कोनों में
दीये जगमगाते हैं
........................................
बड़े बहुत उलझाते हैं
मुझको बच्चे ही भाते हैं
बच्चों की भोली बातों से
सारे शिकवे मिट जाते हैं
जब हिम्मत टूट जाती है
बच्चे उम्मीद बंधाते हैं
जब बादल छा जाते हैं
बच्चे सूरज बन जाते हैं
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जब चाँद नहीं होता नभ में
बस तारे टिमटिमाते हैं
तब घर के अँधेरे कोनों में
दीये जगमगाते हैं
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अपने बच्चों को मैं क्या दूं
उन पर मैं क्या कुर्बान करूं
वो ही मेरा मुस्तकबिल हैं
और मेरी सारी दुनिया हैं
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कवितायें हैं नूपुर जी, धन्यवाद.
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