जीवन का रस चखो ।
खूब काम करो ।
काम का मज़ा लो ।
जितना सीख सको,
जिससे सीख सको... सीखो ।
जीवन का रस चखो ।
अभी तो
मन की कई बातें,
कहनी और सुननी हैं ।
सोची-समझी बातें,
गुननी और करनी हैं ।
प्यार और मन्दिर का प्रसाद
बांटना है ।
तुलसी की चौपाइयों को
आत्मसात करना है ।
भाग्य का लिखा
बांचना है ।
जो लिखा है उसे
वश में करना है ।
मन को साधना है ।
अपने लक्ष्य को पाना है ।
जी भर कर
गाना-गुनगुनाना है ।
कलेजे की हूक को
कोयल की कूक
बनाना है ।
जहाँ हिम्मत टूटे ..
पांव फिसले ..
संभल कर - तुरंत
बिना बात
ढोलक की थाप
पर
झूम कर
ठुमका लगाना है ।
खुशहाली के बीज
बोना है ।
उम्मीद की कोपलों को
सींचना - सहलाना है ।
जीवन के कैनवस में
रंग भरना है ।
अनुभूति के
हर रंग में
रंगना है ।
इस क्षण को जीना है ।
हर क्षण में जीवन पिरोना है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कुछ अपने मन की भी कहिए