पंटू के सपने हैं
कोई बेवक़्त का राग नहीं -
जो चुप जाए ,
कोई तमाशा या खेल नहीं -
जो पलक झपकते ख़त्म हो जाए ।
आप अगर समझ नहीं सकते
तो कम से कम इस मुआमले में
दखलंदाज़ी न कीजिये !
ज़रा परे हट कर खीजिए !
आप होंगे बहुत बड़े होशियार और समझदार !
पर बात दूसरों की भी सुना करो मेरे यार !
ज़िन्दगी भले गाजर-मूली के हिसाब में बीते,
किसी के भी सपने मामूली नहीं होते !
किसी के भी सपने छोटे या बड़े नहीं होते !
आठ आना हों या बारह आना,
या हों बराबर चवन्नी !
चवन्नी भी कम नहीं होती उस्ताद !
चवन्नी की नींव पर
नोटों की इमारत खड़ी कर सकते हैं आप !
जी जनाब !
जी जनाब !
ख्वाब होते हैं ख्वाब !
आपके बड़प्पन के नहीं मोहताज !
किसी ख्वाब के दम पर एक उम्र कट जाती है ,
सपनों के बल पर दुनिया जीती जाती है ।
तो पंटू के सपने बड़े छोटे - छोटे,
जैसे बूंदों में झिलमिल इन्द्रधनुष झलके ।
घर जैसा घर हो ,
गृहस्थी में चैन हो ,
ना अपनों में बैर हो ।
चार पैसे हमेशा जेब में रहें ,
माँ-बाप को कोई कमी ना खले ,
बच्चों की एक-आध ख्वाहिश पूरी करें,
और थोड़ा बहन-भाई पर भी खरचें ।
जिसके संग फेरे हों सात फेरे,
उससे मन का भी जोग मिले ।
जो अपना हो काम-धंधा
तो बहुत ही अच्छा ,
और दस आदमियों के हाथ में
उपजे पैसा ।
वर्ना जो भी हो काम ,
हमें आता हो अच्छा ,
ना रह जाऊँ कच्चा ।
अपने-बेगाने
मेरे काम को सराहें ,
मेहनत की रोटी
सब मिल कर खाएं ।
कहने-सुनने को दोस्त दो-चार हों,
वक्त पर काम आने वाले पड़ोसी हों ।
चिलचिलाती धूप में नीम की छांव मिले ,
प्याऊ पर पीने का पानी साफ़ मिले ।
अच्छे-बुरे समय में सुमति रहे ।
हिम्मत हर हाल में बनी रहे ।
कभी-कभी सपने
मानो दुआ होते हैं ।
मन की उम्मीद का
आईना होते हैं ।
हज़ार देखो तो एक-दो सच होते हैं ।
सपने तो कितने भी हों कम होते हैं ।
सपनों का एक बुनियादी उसूल है -
तहे-दिल से जो चाहो
वो किस्मत को कुबूल है ।
भाग्य और पुरुषार्थ के बीच का संवाद है ,
पंटू का मन सपनों की किताब है ।
वाह!!! ये रचना पढकर तो मजा आ गया......बहुत अच्छा लिखा है आप ने.
जवाब देंहटाएंगुलमोहर का फूल
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
आप होंगे बहुत बड़े होशियार और समझदार !
जवाब देंहटाएंपर बात दूसरों की भी सुना करो मेरे यार !
ज़िन्दगी भले गाजर-मूली के हिसाब में बीते,
किसी के भी सपने मामूली नहीं होते !
सच कहा आपने. ज़िन्दगी भले गाजर-मूली के हिसाब में बीते,
किसी के भी सपने मामूली नहीं होते ! क्या खूब कहा आपने .बधाई हो बधाई.
अरुण कुमार झा
!
bhai........bahut bahut badhai,aapki kavyashaili me bandhe rakhne ki taqat hai
जवाब देंहटाएंare vaah ji......aap to gazab-azab hain bhaayi .....!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!स्वागत! लिखते रहें।
जवाब देंहटाएंblog jagat men aapka swagat hai, sapnon se shuruaat ki aapne , swapn aa gaye aapke blog par aapko shubh kaamnaayen dene. "swapn" ke baare men zyada jaanna/padhna ho to mere blog par aayen, swagat hai. kavita bahut bha gai.
जवाब देंहटाएंsapane to sapne hain ,chahe kisi ke kaise bhee ho, narayan narayan
जवाब देंहटाएंvey good bhut sundar....
जवाब देंहटाएंकिसी ख्वाब के दम पर एक उम्र कट जाती है ,
जवाब देंहटाएंसपनों के बल पर दुनिया जीती जाती है ।
Bahut sundar likha hai aapne. Swagat.
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंहुज़ूर आपका भी .....एहतिराम करता चलूं .....
जवाब देंहटाएंइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ
ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
-(बकौल मूल शायर)