मंगलवार, 6 जून 2023

पथिक रहना सचेत

बस यहाँ से 
पगडंडी 
मुङ जाती है ।
अब यहाँ से 
शायद तुम्हें 
अकेले ही 
आगे जाना पङे ।
क्योंकि 
यह पगडंडी 
तुम्हारे भीतर
उतरती है,
जहाँ सिर्फ़ तुम
जा सकते हो ।
पर फ़िक्र 
किस बात की ?
जहाँ किसी का
नहीँ प्रवेश,
वहाँ भी
केशव तो हैं ही !
जिन्होंने 
परीक्षित की
आप ही
रक्षा की,
और अनर्थ
ना होने दिया ।
वे ही तो
बिना कहे
जान लेते हैं
जिय की बात ।
फिर तुम 
कहो न कहो
किसी से,
आराध्य को तुम्हारे 
सब पता है ।
प्रति पल तुम पर
नज़र है,
वंशी वाले की ।
पुरानी आदत है 
नटवर नागर की
नचाने की ,
जब तक नाचना
आ न जाए !
सौगंध है तुम्हें अपने
गिरिवर धारी की !
विपदा से विचलित
भयभीत मत होना !
जब सँभले न नाव
सौंप देना पतवार
खेवनहार के हाथ ।
साहस मत खोना !
लेना शरण चरणों में 
सुदर्शन चक्र धारी के !
जाने क्या लीला है
मोरमुकुट वाले की !
अनुभव अनुभूति से जताने की
मथे बिना मिलता नहीं माखन ।
मंथन बिना नहीं मिलता अमृत ।

रविवार, 21 मई 2023

इस दिन की कमाई

सुबह उठे जब
अपने हाथों को देखा
प्रभाते कर दर्शनम
दिन शुरू हुआ
कमाई करने निकला 
खाली हाथ जो था ।

वक्त से दुआ-सलाम हुआ ।
दिल को किसी का पैगाम मिला ।
किसी की नादानी को माफ़ किया ।
किसी का दामन थाम लिया ।
किसी मुस्कुराहट का जवाब दिया ।
कुछ देर ठहर किसी दर पर बातें कीं ।
किसी दरख़्त की छाँव महसूस की ।
रास्ते पार किए बगैर जा पहुँचे कहीं ।
घुमाती ही रहती है जीवन की सप्तपदी ।

दो पैसे कमाए ।
सांझ संग रंगों की चूनर बुनी ।
बाज़ारों की रौनक़ देखी ।
खेलते बच्चों की किलकारियां सुनीं ।
और मंदिर की घंटियों की रागिनी ।
क्यारी में बो दी धूप की संजीवनी ।
सुराही में भर ली पूनम की चाँदनी ।
मिलने वालों से दो बातें की खुशी-खुशी ।
दुख बाँटे ,गले मिले,दिल की बात ज़ाहिर की ।
नेकदिल बंदों की सलामती की दुआ मांगी ।
थक के चकनाचूर हुए पाँव फैलाये
मगर उतने ही जितनी चादर थी ।
तानते ही चादर नींद ने लोरी सुनाई ।

नफ़े-नुकसान की बात यदि रहने ही दें ।
इतने में ही हो जाती है भरपाई ।
दाल भात बाटी, सर पर हो छत अपनी ।
बिछौने पर लेटते ही नींद आ जाए ।
दुख-सुख के आभूषण, बात करने को अपने ।
मन में हो प्रार्थना और दिल में भलाई ।
बहुत है अपने लिए इस दिन की कमाई ।


शुक्रवार, 19 मई 2023

किसने मन का फूल खिलाया

अब जाकर समझ में आया
किस बात ने फूल खिलाया
बाट जोहती थीं जो कलियाँ 
डालों पर अब तक गुमसुम 
आज हठात उन्हें हुआ क्या
किसने उन पर जादू चलाया
जाने क्या उनके मन में आया 
झोंका पवन का संदेसा लाया
कलियों का भी मन हरषाया
प्यार प्रार्थना साथ किसी का
बन गए ज़िदगी का सरमाया
बूँद बूँद चिंतन मिट्टी ने सोखा
भाव भूमि पर फूल खिलाया