भीगना ज़रूरी है ।
मूसलाधार बारिश में ।
रिमझिम बरसती
बूँदों की आङ में
रो लेना भी ज़रूरी है ।
धुल जाते हैं
ह्रदय में उलझे द्वन्द,
छल और प्रपंच
जिनकी मार
दिखाई नहीं देती ।
भीगना ज़रूरी है ।
भावनाओं की बौछार में ।
अपनों के दुलार में ।
भीगना ज़रूरी है ।
थुल जाते हैं आँगन चौबारे ।
सोच के धूल भरे गलियारे ।
भीगना ज़रूरी है ।
घर से बाहर निकल आना
बिना छाते-बरसाती के,
मुक्त होना भीगने के डर से ।
अपने आप को बहने देना
वर्षा के जल में,
और लबालब भर देना
रीते कोने बरसाती गढ्ढे ।
भीगना ज़रूरी है ।
यह जानने के लिए कि
कौन कितने पानी में है,
और किस-किसको
आता है तैरना ।
भीगना ज़रूरी है ।
आनंद और उल्लास में ।
प्रकृति के हास में ।
जिससे नम हो मन की मिट्टी
जिसमें खिलें फूल ही फूल ।
***************************
चित्र सौजन्य : श्री अनमोल माथुर