सोमवार, 21 जनवरी 2019

इस दिन का नेग




सूरज सुबह सुबह
चढ़ कर
जा बैठा है
आकाश की मुंडेर पर ।

रात की ओस से
भीजे बादल
डाल दिए हैं
अलगनी पर
एक तरफ़
सूखने के लिए ।

पंछी निकले हैं
प्रभात फेरी के लिए ।

किरणों की वंदनवार
झिलमिला रही है,
धरती के इस छोर से
उस छोर तक ।

हर रोज़ की तरह
ज़िंदगी ने
खोल दी है
अपनी दुकान ।

मेहनत करो
और जीतो
सुकून का ईनाम ।

एक नया दिन
सीना ताने
तैयार है,
ड्यूटी पर
जाने के लिए ।

और तुम्हें साथ
ले जाने के लिए ।

क्योंकि सूरज
बुला रहा है तुम्हें
कब से ।

चलो चलें ।
इस दिन का नेग
जुटाने के लिए ।


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पहली बार ऐसा हुआ। 
एक युवा पाठक ने 
इतने मन से 
पढ़ी यह बात। 
ऊपर जुड़ी water colour पेंटिंग बना डाली। 
देखिए क्या खूब मिला !
सबसे निराला !
इस दिन का नेग !!
Anmol Mathur नन्हे पाठक का 
तहे-दिल से शुक्रिया !


बुधवार, 16 जनवरी 2019

पतंगबाज़ी


पतंगों भरा खुला आसमान
जैसन खेल का बड़ा मैदान !
नटखट बच्चों-सी सरपट पतंगें
पतंगों से ऊँची उनकी उमंगें !

काली पतंग आगे बढ़ी
पीली झटपट लड़ मरी !
सतरंगी बड़ी नकचढ़ी
तिरंगी उस पर हँस पड़ी !

बैंगनी इठला के उड़ी
भूरी को महँगी पड़ी !
गुलाबी ने पींग भरी
चितकबरी झूल गयी !

दूधिया सरपट दौड़ी
लहरिया लो पिछड़ गई !
नारंगी तो मचल गई
आसमानी झूम चली !

पतंगों की देख अठखेली
सूरज को सूझी ठिठोली,
धूप की दे थपकी गुनगुनी
ठंडी तेज़ हवा चला दी !

पतंगों भरा खुला आसमान
जैसन खेल का बड़ा मैदान !
नटखट बच्चों-सी सरपट पतंगें
पतंगों से ऊँची उनकी उमंगें !