मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

कमल के फूल




कुछ बातें 
गड़ती हैं 
कलेजे में ऐसे, 
जैसे शब्द 
बन गए हों शूल ।

और कुछ बातें, 
धीरे - धीरे 
खिलती हैं 
मन के ताल में,
मानो कमल के फूल । 


बातें



बातें 
बीज की तरह होती हैं ।
जो बो दो ,
वही उपजता है 
मन उपवन में ।
इसीलिए तो 
कहीं उगते हैं कैक्टस ,
कहीं बबूल के कांटे ,
कहीं सरसों के खेत लहलहाते ,
कहीं अमर बेल, 
और कहीं खिलते हैं 
दूर दूर तक, 
बेशुमार, 
फूल ही फूल ।   

शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

निराला















एक हुए थे निराला 
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला । 
जिनकी कालजयी रचना, 
राम की शक्ति पूजा, 
शूरवीरों की आराधना, 
अब तक अलख जगाती है ।

एक 
सपूत भारत माता के 
बहादुर सिपाही ये -
कॉर्पोरल ज्योति प्रकाश निराला । 
जिस शूरवीर ने 
कर दिखाया, 
वास्तव में 
कैसे निभाई जाती है 
राम की शक्ति पूजा । 
कैसे चढ़ाया जाता है 
जीवन का नैवेद्य । 
कैसे संपन्न होती है 
देशभक्ति आराधना ।