शनिवार, 11 जून 2016

ढ़ोल बजाती लड़कियाँ

कमउम्र  . .  छोटी छोटी  
दुबली पतली ,
अपने वज़न से 
ज़्यादा भारी 
ढ़ोल उठाये ,
मस्ती का फेंटा बांधे ,
अपने कद से ऊँची उठती ,
पतंग की तरह लहराती ,
ताल पर झूमती ,
लयबद्ध मुस्कुराती ,
ढ़ोल बजाती लड़कियाँ !

वाह !  क्या खूब !
ताल ठोंकती लड़कियाँ !
लगता नहीं 
इनके रहते , 
कभी मायूस 
होगी दुनिया !
अपनी बेफ़िक्र मुस्कान से 
आत्मविश्वास जगाती लड़कियाँ !

इनकी आँखों की चमक के आगे 
फीकी है तमाम दुनिया !
चाहे मुसीबतों के 
पहाड़ टूट पड़ें ,
डट कर उनका सामना 
करेंगी ये लड़कियाँ !
हार नहीं मानेंगी ये लड़कियाँ !
इनके चेहरों के तेज में 
कौंधती हैं बिजलियाँ !
वाह ! कमाल की हैं ये लड़कियाँ !

चुपचाप अपनी चाहरदिवारी में  . . 
अपनी बिरादरी में  . .   
बदलाव लाती लड़कियाँ !
पूरी ढिठाई से मुस्कुराती ,
अपनी हँसी से चमचमाती , 
खुशियाँ लुटाती लड़कियाँ !

अपने अल्हड़पन का 
ऐलान करती लड़कियाँ !
अपने हौसलों से इतिहास के 
नए पन्ने सजाती लड़कियाँ !
ढ़ोल की धमक से चौंकती नहीं  . . 
चुनौती देती लड़कियाँ !
अपनी दबंगाई का 
परचम लहराती लड़कियाँ !

वाह ! क्या खूब !
ताल ठोंकती लड़कियाँ !
वाह कमेरी ! वाह घरेलू !
वाह वाह कमाल की लड़कियाँ !
लयबद्ध मुस्कुराती 
ढ़ोल बजाती लड़कियाँ !

  

मंगलवार, 7 जून 2016

फिर ज़िन्दगी के क्या कहने !


बुज़ुर्गों का सर पर हाथ हो ,
अपनों का साथ हो ,
थाली में दाल - भात हो ,
फिर ज़िन्दगी के क्या कहने !

मन में विश्वास हो ,
मुट्ठी भर जज़्बात हों ,
मेहनत के दिन - रात हों ,
फिर ज़िन्दगी के क्या कहने !

प्रार्थना से दिन शुरू हो ,
दोहों से दिन बुने हों ,
छंद में दिन ढला हो ,
फिर ज़िन्दगी के क्या कहने !

क्यारी में फूल खिला हो ,
घर में मीठा दही जमा हो ,
मंदिर में दीया जला हो ,
फिर ज़िन्दगी के क्या कहने !

सुख - दुःख से बड़ा कोई सपना हो ,
सपना सच करने का हौसला हो ,
हौसला हर हार से बड़ा हो ,
फिर ज़िन्दगी के क्या कहने !


सोमवार, 30 मई 2016

सोना

देखो दूर क्षितिज पर सूरज डूब रहा है
सागर की लहरों में सोना पिघल रहा है