बुधवार, 25 सितंबर 2013

नमस्कार


लो आ गई 
ओस की बूंदों सी,
पवित्र और पारदर्शी
एक नयी सुबह 
ताज़ी नमकीन !

जैसे खुशखबरी का तार । 
जैसे अच्छी ख़बरों से भरा अखबार ।   
जैसे बारिश की ठंडी फुहार । 
जैसे नदी किनारे भीनी - भीनी बयार । 
जैसे पुराना आम का अचार । 
जैसे सहेलियों में मीठी - सी तकरार । 
जैसे रेडियो पर आज के मुख्य समाचार । 
जैसे बूढ़ी दादी का लाड़ - दुलार । 
जैसे बच्चों की गुड़ियों का संसार । 
जैसे गाय के बछड़े की पुकार । 
जैसे खिले - खिले फूलों की बहार । 
जैसे द्वारे पर स्वागत का नेग - चार । 

जैसे जीवन का सत्कार । 
ऐसी सुबह को, 
जागने वाले का 
नमस्कार !



शनिवार, 14 सितंबर 2013

समाधान





फ़ैसला आ गया । 

आख़िर , फ़ैसला आ गया ।   
फ़ैसला सुन कर 
हमारी प्रतिक्रिया 
क्या होनी चाहिए ?

एक सही फ़ैसले पर 
खुश होना चाहिए ?
निश्चिन्त होना चाहिए ?
कि अब ऐसे अपराध 
कम होंगे  . . 
अपराध करने वाले डरेंगे  ? 

और फिर जीवन 'चलता' होगा, 
अपने रस्ते ।  
सब कुछ चलता रहेगा ,
जैसे चलता है ।   
जैसे लट्टू घूमता है 
अपनी धुरी पर ।  

तब तक ,
जब तक 
अगले बलात्कार की ख़बर  
नहीं आ जाती । 
और अफ़सोस कि वो 'अगली बार ' 
आने में 
ज़्यादा देर नहीं लगती ।   

अगला समाचार  . . .  
वही दुराचार । 

फिर वही सवाल ।  
फिर वही बवाल ।   

समाधान क्या है ?

शुरुआत क्या 
अपने घर से 
की जा सकती है ?
क्या अपने  बेटे को 
माँ ये समझा सकती है 
कि स्त्री की देह कोई 
चीज़ नहीं 
जिससे जैसे चाहे 
खेला जाये ।   
स्त्री की देह 
वो नेमत है, 
जिसके रहते 
तुम्हारा जन्म हुआ है ।   
इस स्त्री देह को 
जब भी छुओ, 
सम्मान से छूना ।   

कभी मत भूलना !
इस स्त्री को जो 
चोट पहुँचाओगे,
अपने - आप को कभी 
माफ़ नहीं कर पाओगे ।     




शनिवार, 7 सितंबर 2013

राखी



यूँ तो 
कोई बंधन नहीं। 
ऐसा कोई 
नियम नहीं। 
इसलिए ,
तुम बाध्य नहीं कि 
अपनी बहन की राखी,
ज़्यादा देर तक 
या 
कई दिनों तक 
बांधे रखो।

पर एक बात है। 

अच्छा लगता है,
जब अपना भाई 
पहने रहता है ,
कलाई पर राखी ,
कई दिनों तक। 

शायद उसे अहसास है ,

बहन ने कितने जतन से 
चुनी है राखी उसके लिए। 
बरस भर बाट जोही है ,
आस पाली है 
इस दिन के लिए।
मन में प्रार्थना संजोये ,
दुकानों की कितनी 
फेरियां लगा के 
ढूंढी है राखी 
सही वाली  . . 

जिसमें  . . 

रेशम तो होना ही चाहिए ! 
रंग भी चोखा चाहिए ! 
और मंगल चिन्ह सारे 
होने चाहिए ! 
राखी पर 
श्रीफल , मंगल कलश 
सतिया , ॐ और 
मौली की डोरी 
तो होनी ही चाहिए !    
आखिर सबसे सुन्दर राखी 
साध है बहना की !

और बनी - बनायी राखी 

जब मन को न भाए ,
बाज़ार के रंग फीके पड़ जायें ,
तब ख़ुद अपने हाथों से
बहन बनाती है राखी। 

वो जो राखी में 

पोती है मोती ,
पिरोती है मन के 
भावों को भी। 

इतने स्नेह और जतन से

बाँधी गई राखी 
जब भाई 
अपनी कलाई पे 
बड़े ही गर्व से 
पहने 
इतराते डोलते हैं  . . 
बहुत अच्छा लगता है।