शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

गले मिले ईद और तीज









छायी है हर तरफ हरियाली !
बूंदा-बांदी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली ! 
गले मिल रहे ईद और तीज !



इधर मिली छोटों को ईदी !          
उधर बहन-बेटियों को सिंधारा !
इधर आपस में हुई मिलनी !
उधर सखियाँ झूलने चलीं झूला !    
  
 

छायी है हर तरफ हरियाली !
बूंदा-बादी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली ! 
गले मिल रहे ईद और तीज !


                                             
  
इधर बिखरी हँसी झिलमिलाती !
उधर घेवर, घूमर और हरी चूड़ियाँ !
इधर हथेली पर रची मेहँदी !
उधर ढोलक की थाप पर बंधा समाँ ! 




छायी है हर तरफ हरियाली ! 
बूंदा-बांदी का है मौसम !  
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली ! 
गले मिल रहे ईद और तीज !


      






रविवार, 28 जुलाई 2013

चेतावनी




यकीन नहीं होता ।
आपको हुआ ?
सुना तो होगा . . 

खाने में नमक कम हुआ,
तो पत्नी को धुन दिया ।
लड़की ने ना कहा,
तो उस पर ऐसिड डाल दिया ।
औरत ने आवाज़ उठाई,
तो जवाब बलात्कार से दिया ।

ये किस दुनिया के ?
कौनसी कौम के लोग हैं ?
कैसे लोग हैं ?

इंसानी मुखौटों के पीछे छुपे 
हैवानियत के नमूने हैं. 
इनसे बचने के लिए 
चौकन्ना रहना बहुत ज़रूरी है. 

बेटियों - बहनों को सतर्क रहना 
सिखाइये,
और हर पल दुआ मांगिये . . 
इंसानों को इंसान ही मिलें ।
हैवानों से हैवान निबटते रहें ।



               

बुधवार, 24 जुलाई 2013

मन




मन को क्यों 
बंधक 
रखा है तुमने ?

मन को 
मुक्त कर दो. 

इस नन्हे से 
पाखी को
नभ की ऊँचाई 
नापने दो,
जीवन की गहराई
जानने दो. 

उसके पंखों में 
है कितनी उड़ान . .  
परखने दो.