छायी है हर तरफ हरियाली !
बूंदा-बांदी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली !
गले मिल रहे ईद और तीज !
उधर बहन-बेटियों को सिंधारा !
इधर आपस में हुई मिलनी !
उधर सखियाँ झूलने चलीं झूला !
छायी है हर तरफ हरियाली !
बूंदा-बादी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली !
गले मिल रहे ईद और तीज !
इधर बिखरी हँसी झिलमिलाती !
उधर घेवर, घूमर और हरी चूड़ियाँ !
इधर हथेली पर रची मेहँदी !
उधर ढोलक की थाप पर बंधा समाँ !
छायी है हर तरफ हरियाली !
बूंदा-बांदी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली !
गले मिल रहे ईद और तीज !
बूंदा-बांदी का है मौसम !
दो त्योहारों की ख़ुशी मिली !
गले मिल रहे ईद और तीज !
बहुत सुन्दर कविता नुपुर जी. दो पर्वों की बधाईयाँ एक साथ.
जवाब देंहटाएंbadhai apko bhi rajeev kumarji. sarahna ke liye dhanyawad.
जवाब देंहटाएं