सड़क के किनारे ,
फुटपाथ पर
बैठे थे,
शायद एक ही परिवार के
कुछ लोग ।
औरतें,आदमी, बच्चे . .
सब लगे हुए थे
फूलों की माला गूंथने में ।
सधे हुए हाथ
फुर्ती से चल रहे थे ।
चारों तरफ उनके
फूलों के ढेर थे ।
लाल , सफ़ेद , पीले
फूल खिले - खिले ,
एकदम ताज़े ,
और पत्ते हरे ।
इन्ही फूलों और लोगों के बीच
एक शिशु सोया था
दरी पर ,
दीन - दुनिया से बेख़बर
गहरी नींद में ।
उसका भोला चेहरा
लग रहा था ,
अनेक फूलों के बीच
एक निश्छल मासूम फूल ।