नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
बुधवार, 30 नवंबर 2011
मिसरी
वजह
नहीं पता.
पर तुमसे
एक रिश्ता,
भूली-बिसरी,
मिसरी सी
याद का,
का़यम है.
तुम्हें
ख़बर है क्या ?
नदी
नदी का पानी
कभी ठहरता नहीं.
पर नदी के किनारे,
इस पार उस पार,
वही पुराने घाट हैं.
कल कल बहता पानी
सदियों से,
घाटों को ही अपनी
सुनाता आया है
कहानी.
सुन सुन कर कहानियां
घिस गई हैं
घाट की सीढियां.
कई बार भावावेग में
डूब गई हैं सीढियां.
नदी का उमङना,
घटना-बढना,
जीवन के क़म हैं.
जिन्हें साँझ-सवेरे
नैया खेते-खेते
अपने गीतों में रच के
गाते हैं मांझी.
मंगलवार, 29 नवंबर 2011
पूर्वाग़ह
बङे लोगों के
पूर्वाग़ह,
उनसे भी
बङे होते हैं.
छोटे लोगों के ..
कद में नहीं,
हैसियत में ..
..तो
छोटे लोगों के
पूर्वाग़ह..हों भी तो
कोई मायने
नहीं रखते.
उनके आग़ह भी
दुराग़ह प्रतीत
होते हैं.
इन मामूली
लोगों के
बस हौसले
बङे होते हैं.
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