शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
मन के अंधियारे दूर भगाओ ।दीप जलाओ ।देव जागे,तुम भी जागो !अपने भीतर झाँको !खो बैठे जोउसे ढूँढ कर लाओ !घुप्प अंधेरा हो तोख़ुद मशाल बन जाओ !जग में उजियारा लाओ !जागो, जागो, दीप जलाओ !अथवा स्वयं दीप बन जाओ!
मन के अंधियारे
दूर भगाओ ।
दीप जलाओ ।
देव जागे,
तुम भी जागो !
अपने भीतर झाँको !
खो बैठे जो
उसे ढूँढ कर लाओ !
घुप्प अंधेरा हो तो
ख़ुद मशाल बन जाओ !
जग में उजियारा लाओ !
जागो, जागो, दीप जलाओ !
अथवा स्वयं दीप बन जाओ!
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 03 नवंबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
सुंदर
बहुत सुंदर
सच है जलना या जलाना रौशनी देना … इस से बढ़ कर क्या
सुंदर आह्वान
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
कुछ अपने मन की भी कहिए
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 03 नवंबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसच है जलना या जलाना रौशनी देना … इस से बढ़ कर क्या
जवाब देंहटाएंसुंदर आह्वान
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं