मेरी प्यारी बेटियों
जुग जुग जियो !
जैसे-जैसे बड़ी हो..
बहुत कुछ बनना ।
जब-जब छाये अँधेरा,
बिजली की तरह कौंधना ।
गहरे ताल में पड़े उतरना
तो कमल की तरह खिलना ।
बहुत कुछ बनना ।
भुलावे में मत रहना ।
चौकस रहना ।
जो जो सीखो,
सहेजती जाना ।
जैसे अपनी किताब-काॅपी
बस्ते में लगाती हो ।
जैसे गर्म रोटियाँ मोङ कर
कटोरदान में रखती हो ।
जैसे अपने दुपट्टे,कुर्ते, सलवार
साङी तहा कर रखती हो ।
जैसे घर का सारा सामान
जगह-जगह जमा कर रखती हो ।
अपनी भावनाएं, अपने स्वाद,
अपने संकल्प, अपने व्यक्तित्व को
सहेजे रखना । बचा कर रखना ।
समय बीतने के साथ नज़र की तरह
अपनी व्यक्तिगत रूपरेखा को
धुंधला मत पङने देना ।
अच्छी बेटी बनना ।
अच्छी बहन बनना ।
अच्छी पत्नी बनना ।
अच्छी माँ बनना ।
इस सबके बीच तुम जो हो,
वह बनी रहना ।
बहुत कुछ बनना ।
बहुत कुछ बदलेगा ।
तुम भी बदलते हुए जीना ।
बस तासीर मत बदलने देना ।
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आभार सहित
चित्र इंटरनेट से
इंडिया पोस्ट डाक टिकट
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अपेक्षाओं से बुनी सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंलाजवाब !
जवाब देंहटाएंएक अच्छी माँ का अपनी बेटियों को ये निर्मल आशीष निशब्द कर गया और भावुक भी।बेटियाँ माँ की परछाई होती हैं।आपकी सभी दुआएँ फलीभूत हो यही दुआ है।
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