हमने सुनाई जब आपबीती
गौरैया की महिमा बखानी
तब एक नौजवान ने ठानी
नन्ही चिरैया से बतियाने की
मुक्त कंठ से हमने प्रशंसा की
नवयुवक के सहज उत्साह की
बात 'गल्प करिबो' बिरादरी की
गोष्ठी में सदस्यता बढ़ाने की थी
बात करने से सुलझती है गुत्थी
बात करने से खुलती है मनोग्रंथी
जो बात समझ नहीं पाता आदमी
चिरैया समझ जाती बिना कहे भी
नमस्ते, शास्त्रीजी. चर्चा का शीर्षक रोचक है. इसका हिस्सा बनाने के लिए सादर धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ओंकार जी ।
हटाएंउम्दा सृजन ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद. नमस्ते पर आपका स्वागत है.
हटाएंआते रहिएगा.
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहमेशा पढ़ने और हौसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद, आलोक जी.
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