शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

एक चिरैया गौरैया










हमने सुनाई जब आपबीती 
गौरैया की महिमा बखानी
तब एक नौजवान ने ठानी
नन्ही चिरैया से बतियाने की

मुक्त कंठ से हमने प्रशंसा की 
नवयुवक के सहज उत्साह की
बात 'गल्प करिबो' बिरादरी की
गोष्ठी में सदस्यता बढ़ाने की थी

बात करने से सुलझती है गुत्थी
बात करने से खुलती है मनोग्रंथी
जो बात समझ नहीं पाता आदमी 
चिरैया समझ जाती बिना कहे भी 

7 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते, शास्त्रीजी. चर्चा का शीर्षक रोचक है. इसका हिस्सा बनाने के लिए सादर धन्यवाद.

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  2. उत्तर
    1. धन्यवाद. नमस्ते पर आपका स्वागत है.
      आते रहिएगा.

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  3. उत्तर
    1. हमेशा पढ़ने और हौसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद, आलोक जी.

      हटाएं

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