गुरुवार, 14 जनवरी 2021

उङ रही पतंग है



सुबह सुबह सांकल खटका के,
चंचल हवा आ बैठी सिरहाने ।
हाथों में थामे थी चरखी और पतंग, 
बातों से छलके थी बावली उमंग !
बोली जल्दी चलो खुले मैदान में !
सूरज भी आ डटा है आसमान में !
झट से रख लो संग पानी की बोतल !
मूंगफली,तिल के लड्डू,रेवङी,गजक !
देखो टोलियाँ तैनात हैं आमने-सामने !
पतंगें भी कमर कस के तनी हैं शान से !
बहनें मुस्तैद हैं चरखियां लिए हाथ में !
हरगिज़ आंच ना आए भाईयों की आन पे !
लो वो उठीं ऊपर और छा गईं आकाश में !
पतंगें ही पतंगें टंकी हैं धूप की दुकान में !
बच्चे तो बच्चे बङे भी बच्चे हो गए !
हंसी - ठिठोली घुल गई आबो-हवा में !
जिसने पतंग काटी सिकंदर से कम नहीं !
जिसकी कट गई उसके दुख की सीमा नहीं !
खेल क्या है ये तो भावनाओं की उङान है !
डोर है, पतंग है और खुला आसमान है !
पतंगों की कोरों पर झूलती उमंग है !
ठान लो यदि संभावनाएं अनंत हैं !
वो काटे चिल्ला कर नाचे मस्तमौला है !
लूटने पतंग जो दौङा वो मलंग है !
सच्चा है सारा खेल झूठी ये जंग है !
झूठी है हार-जीत सच्चा मेलजोल है !


26 टिप्‍पणियां:

  1. लूटने पतंग जो दौङा वो मलंग है, वाह। अति सुन्दर

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    1. धन्यवाद सा. जितना मज़ा पतंग उड़ाने में है, उतना ही मज़ा पतंग लूटने में है. जो समझा, वो मलंग है. उसके जीवन में तरंग ही तरंग है.

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  2. यह तो मुझे मेरे बचपन में खींच ले गयी । बहुत सुंदर लिखा है ।

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    1. धन्यवाद नम्रता. बचपन में लौटना खजाने की खोज में के एपिसोड जैसा रहा होगा !

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  3. ऐसे अवसरों पर हार-जीत का कोई महत्त्व नहीं। यही तो वोअवसर हैं जो हमें एक दूसरे के नजदीक लाते हैं.... अगर किसी को खुशी मिलती है तो हम तो अपनी पतंग कटवाने को तैयार हैं।

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    1. बड़ी खूबसूरत बात कही आपने, दिलीपजी.
      हारना क्या जीतना क्या
      खेल का मज़ा लीजिए !

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    1. धन्यवाद लीना.
      इंसान को उड़ना नहीं आता.
      पतंग उड़ाना तो आता है.

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  5. सुन्दर प्रस्तुति।
    मकर संक्रान्ति का हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. धन्यवाद शास्त्रीजी.
      उत्तरायण पर सादर प्रणाम.

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  6. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज शुक्रवार 15 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. धन्यवाद, दिग्विजय जी. बस पतंग लेकर पहुँचते हैं.

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  7. बेहद भावपूर्ण सुंदर रचना।
    आपकी लिखी पतंग बचपन में खीचकर ले गयी।

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    1. आपकी सराहना बहुत मायने रखती है. धन्यवाद, श्वेताजी.
      बचपन में लौटने के बाद....
      लौटने का मन नहीं करता ना ?

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  8. बहुत सुंदर ब्लॉग |अच्छी कविता |आपका दिन शुभ हो |

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    1. नमस्ते पर आपका हार्दिक स्वागत है, तुषार जी ।
      आपको अच्छी लगी कविता
      यह जान कर हर्ष हुआ
      पढते रहिएगा ।
      अपनी बात कहते रहिएगा ।
      आपका दिन भी शुभ हो ।

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  9. नमस्ते जी..

    बहुत अच्छी है आपकी कविता..
    सादर प्रणाम

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