कोई कोई दिन
होता है ऐसा ..
स्वाद उतरा हुआ सा
फीका ..मन परास्त
हार मान लेता,
जब काम सधते नहीं
किसी तरह भी ।
तब ही अकस्मात
नज़र पड़ी बाहर
रखे गमले पर ।
जिस पौधे की
सेवा बहुत की थी,
फिर छोङ दी थी
सारी उम्मीद ।
उसी पौधे पर
नाउम्मीदी को
सरासर
मात दे कर,
खिला था
एक रुपहला फूल ।
सबै दिन एक से ना होय!
जवाब देंहटाएंरूपहली चांदनी सदा फैली रहे।
धन्यवाद,अनमोल सा ।
हटाएंसबै दिन एक से ना जात ।
समय का चक्र ऊपर नीचे घूमता ही रहता है ।
सबै दिन एक से ना होय!
जवाब देंहटाएंरूपहली चांदनी सदा फैली रहे। और जब अमावस हो तो दीप टिम - टिमाएं!
अभाव और दुख सिखाता भी है ।
हटाएंधीरे-धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय
माली सींचे सौ घणा ऋतु आए फल होय
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (30-09-2020) को "गुलो-बुलबुल का हसीं बाग उजड़ता क्यूं है" (चर्चा अंक-3840) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक आभार, शास्त्री जी ।
हटाएंसुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, जोशीजी ।
हटाएंसुंदर सृजन,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन और आभार आपका ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार,अनुराधा जी ।
हटाएंनाउम्मीदी के बादल छँट ही जाते हैं एक दिन...।
जवाब देंहटाएंसकारात्मकता से ओतप्रोत सुन्दर सृजन।
सुधा जी,धन्यवाद ।
हटाएंउम्मीद पर दुनिया कायम है ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 01 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है............ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र जी, धन्यवाद ।
हटाएंयह सिखाता है कभी भी नाउम्मीदी नहीं रखनी चाहिए
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेखन
शुक्रिया,विभा जी ।
हटाएंहर अंकुर उम्मीद उम्मीद जगाता है ।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंनीतीश जी,बहुत शुक्रिया ।
हटाएंनिराश होने के बाद,प्रयत्न की सार्थकता और परिणाम में सफलता की प्राप्ति कितना प्रसन्नत देनेवाली होती है.
जवाब देंहटाएंजी, प्रतिभा जी ।
हटाएंसोने पर सुहागा ।
"हर ज़र्रा चमकता है अनवारे-इलाही से,
हर साँस ये कहती है हम हैं तो खुदा भी है ।"
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद,ओंकार जी ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंस्वरांजलि satishrohatgipoetry
नमस्ते पर आपका स्वागत है रोहतगी जी.
हटाएंसराहना के लिए बहुत धन्यवाद.
बहुत सधी हुई सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआलोक सिन्हा जी, बहुत-बहुत शुक्रिया.
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