गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

खूब रंगो !


खूब रंगो
अंतर्मन रंगो
सकल भुवन रंगो
कोरी चूनर रंगो
काग़ज़ रंगो
स्वप्न रंगो
बोल रंगो
सुर रंगो
ताल रंगो
अपनी पहचान रंगो
जितना जी चाहे रंगो
खूब रंगो ! 

अपने रंगो
दूजे रंगो
भाव रंगो
साज रंगो
प्राण रंगो
दरो-दीवार रंगो
खेल-खिलौने रंगो
अपनी भावनाएं रंगो !
जितना जी चाहे रंगो !
खूब रंगो ! 

समय की सांसें रंगो
भवितव्य की गिरहें रंगो
घुमड़ती घटाएं रंगो
बल खाती हवाएं रंगो
जल की हलचल रंगो
नैया की पतवार रंगो
जितना जी चाहे रंगो
जीवन में हर रंग भरो
मेहँदी की तरह रचो !
खूब रंगो ! खूब रचो !

14 टिप्‍पणियां:

  1. आहा। क्या बात है। रंग भीनी कविता। वैसे तो शरद पूर्णिमा का महारास भी धवल है, पर उस श्वेत में ही सब रंग भरे हैं। अनुराग के रंग

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    1. घणी खमा सा.
      किसी भी
      रंग का ना होना भी
      एक अलहदा रंग है.
      कभी-कभी
      इसे श्वेत रंग
      कहते हैं.

      अनुराग का रंग श्याम रंग भी कहलाता है ना.

      या अनुरागी चित्त की गति सम्झ्यौ नहिं कोय
      ज्यों-ज्यों बूड़े श्याम रंग त्यों-त्यों उज्ज्वल होय

      हार्दिक आभार सा.

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  2. जितना भी रंगना हो रंगों, मगर अपने ही रंग में रंगों

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    उत्तर
    1. श्रीनिधि, नमस्ते पर आपका स्वागत है. आती रहिएगा.
      अपने ही रंग में रंगना चाहिए ..उत्तम विचार है.
      हर रंग अलग और जुड़ कर एक नया रंग भी बन जाता है.
      धन्यवाद.

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  3. उत्तर
    1. शुक्रिया,शास्त्रीजी..आपका चर्चा में शामिल करने वाला ईमेल नोटिफिकेशन आजकल नहीं आता. उत्तर देने में विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.

      हटाएं

  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(११-०४-२०२०) को 'दायित्व' (चर्चा अंक-३६६८) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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    उत्तर
    1. अनीताजी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
      क्षमा कीजियेगा. बहुत देर से उत्तर दे पाए. यह अंक पढ़ भी नहीं पाए.
      कोरोना प्रतिबन्ध के कारण कहीं और हूँ. घर पर नहीं. यहाँ नेटवर्क ठीक नहीं है. इसीलिए देर हो गई.

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  5. वाह! बहुत ख़ूब!

    जीवन में ना-ना प्रकार के रंग उमंग और उल्लास भर देते हैं। नैराश्य से पटे माहौल में रंग भरने के इतने सारे आयाम सृजित किए गए हैं कि कोई न कोई तो मन को भा ही जाता है।

    उत्कृष्ट रचना।

    बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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    उत्तर
    1. आपने विस्तार से रंगों पर अपनी बात कही, बहुत अच्छा लगा. धन्यवाद.
      श्वेत-श्याम हो या रुपहला, रंग बस फीका ना हो.

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