हम अपने घरों में बंद हैं ।
घर एक कमरे से लेकर
कई कमरों का हो सकता है ।
बेशक़ घर घर होता है ।
घर में रहने वाला अकेला
या पूरा कुनबा हो सकता है ।
बेशक़ घर घर होता है ।
बंद हैं हम ..पर घर पर हैं ।
रातों रात खानाबदोश ..
बेरोजगार नहीं हो गए ।
खुशकिस्मत हैं वो लोग
जो अपने लोगों के संग
बीमारी से लड़ने जंग में हैं,
जंग के मैदान में नहीं ।
हमारी जंग भी मामूली नहीं ।
दुश्मन का ठौर-ठिकाना नहीं ।
किससे लङना है पता नहीं ।
पर बेशक़ रहना है चौकन्ना ।
मोर्चे पर दिन-रात मुस्तैद ।
फिर भी वास्तव में हम
घरों में बंद बेहतर और
बेहतरीन हालात में हैं ।
सर पर हमारे छत तो है ।
काम और जेब में वेतन है ।
हाथ-पाँव अभी चलते हैं ।
दुख बाँटने को कोई है ।
झल्लाने को परिवार है ।
कोसने की फुरसत तो है ।
जी बहलाने को बच्चे हैं ।
पर जिनके पास इन सब में से
कोई एक चीज़ भी नहीं है,
उन पर क्या बीत रही है !!!
अगर फिर भी हमें अफ़सोस है ।
और सिर्फ़ अफ़सोस ही अफ़सोस है,
तो इसमें किसी का भी क्या दोष है ?
ये वक़्त भी बीत ही जाएगा ।
वक़्त की तो फ़ितरत ही है
बीतते बीतते बीत जाने की ।
इस वक़्त की नब्ज़ थामनी है यदि
जुगत लगानी होगी हमें ही ।
तुम देखना वक़्त कभी भी
खाली हाथ नहीं आता ।
बहुत कुछ ले जाता है ऐसा
जिसकी कद्र हमने नहीं की ।
बहुत कुछ बदल कर जाएगा
इस बार भी तुम देखना ।
बहुत कुछ सिखा कर जाएगा
जो हम खुद नहीं सीख सके ।
मूल्यों का मूल्य समझा कर जाएगा ।
वक़्त की नदी सब बहा कर ले जाएगी
किंतु तट की भूमि उपजाऊ कर जाएगी ।
जिस घर को सब कुछ दाँव पर लगा कर बनाया ।
कुछ दिन उस घर के हर कोने को जी कर देखो ।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 18 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, आदरणीया सखी.
हटाएंसमसामयिक और सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी ।
हटाएंExcellent noopur!
जवाब देंहटाएंबीमारी से लड़ने जंग में हैं,
जंग के मैदान में नहीं ।
Maybe that's why we see 'educated' indians walking outside morning n evening when they are asked to stay at home, would they have done it if it was a जंग का मैदान...
Love the ending!
Thank you Leena for your kind observation.
हटाएंWe always tend to analyse and criticise others' actions and forget to think about our own responsibilities.
Bahut Sundar Noopur
जवाब देंहटाएंThank you dear anonymous.
हटाएंWelcome to namaste. Please do keep reading and sharing your thoughts.
पर जिनके पास इन सब में से
जवाब देंहटाएंकोई एक चीज़ भी नहीं है,
उन पर क्या बीत रही है !!!
बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण सृजन।
वाह!!!
स्नेह-स्निग्ध सराहना के लिए हार्दिक आभार,सुधा सखी.
हटाएंइस त्रासदी को झेलते - झेलते हम बहुत कुछ सीखेंगे.
सही कहा, दुश्मन का कोई ठौर ठिकाना नहीं, पता नहीं किस से लड़ना है। लड़ना है, ये पक्का है, चाहे रोते हुए चाहे हिम्मत से। सुंदर
जवाब देंहटाएंबेशक घर घर होता है, बहुत ही खूबसूरत रचना। हालही में मैने घर पर रहकर ही अपना लेखन शुरू किया। आपका भी मेरे पेज पर स्वागत है। आपके मार्गदर्शन का अभिलाषी।
जवाब देंहटाएंसधन्यवाद
🙏🏻🙏🏻💐💐
एक नई सोच
मुकेश खेतवानी
दिल्ली
क्या है बदला, क्यो है बदला
जवाब देंहटाएंये तो सब जानते है
चारो ओर हाहाकार मचा है
ये तो सब जानते है
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धन्यवाद
🙏🏻🙏🏻