बुधवार, 4 जुलाई 2018

फूलों की माला

फूलों की माला गूँथना
मन के भाव पिरोने जैसा है ।
बिना बिंधे बिना बंधे
फूल वेणी में
ठहर नहीं सकते ।
यदि बिखर गए
तो माला बने कैसे ?
अनुभव की चुभन बिना
फूलों में पराग कैसा ?
रंग और सुगंध बिना
फूल अर्पित हों कैसे ?
फूलों की सरल सरसता
भक्ति की पुनीत भावना ।
दोनों जब खिलते हैं,
माला में पिरोये जाते हैं ।