नदी में बहते पानी
सरोवर में खिले कमल
पहाड़ों पर जमी बर्फ़
खेतों में खिली सरसों
बच्चों से भरी स्कूल बस
पुल पर से गुज़रती रेल
कच्चे पक्के घरों
शतरंज के मोहरों
सियासती पैंतरों
किस्मत की लकीरों
अपनों की बेरुखी
पुरानी चोट की पीर
वक़्त की बेअदबी
झरने सी हँसी
जानलेवा रूप
खिली खिली धूप
सामाजिक मसले
रिश्तों के पचड़े ..
सरोवर में खिले कमल
पहाड़ों पर जमी बर्फ़
खेतों में खिली सरसों
बच्चों से भरी स्कूल बस
पुल पर से गुज़रती रेल
कच्चे पक्के घरों
शतरंज के मोहरों
सियासती पैंतरों
किस्मत की लकीरों
अपनों की बेरुखी
पुरानी चोट की पीर
वक़्त की बेअदबी
झरने सी हँसी
जानलेवा रूप
खिली खिली धूप
सामाजिक मसले
रिश्तों के पचड़े ..
और ऐसी तमाम बातें . .
इन सबके बारे में लिखना ।
जब सब कह चुको ।
वेद पुराण बाँच चुको,
तब एक बात,
बस एक बार,
अपने मन की भी कहना ।