नदी में बहते पानी
सरोवर में खिले कमल
पहाड़ों पर जमी बर्फ़
खेतों में खिली सरसों
बच्चों से भरी स्कूल बस
पुल पर से गुज़रती रेल
कच्चे पक्के घरों
शतरंज के मोहरों
सियासती पैंतरों
किस्मत की लकीरों
अपनों की बेरुखी
पुरानी चोट की पीर
वक़्त की बेअदबी
झरने सी हँसी
जानलेवा रूप
खिली खिली धूप
सामाजिक मसले
रिश्तों के पचड़े ..
सरोवर में खिले कमल
पहाड़ों पर जमी बर्फ़
खेतों में खिली सरसों
बच्चों से भरी स्कूल बस
पुल पर से गुज़रती रेल
कच्चे पक्के घरों
शतरंज के मोहरों
सियासती पैंतरों
किस्मत की लकीरों
अपनों की बेरुखी
पुरानी चोट की पीर
वक़्त की बेअदबी
झरने सी हँसी
जानलेवा रूप
खिली खिली धूप
सामाजिक मसले
रिश्तों के पचड़े ..
और ऐसी तमाम बातें . .
इन सबके बारे में लिखना ।
जब सब कह चुको ।
वेद पुराण बाँच चुको,
तब एक बात,
बस एक बार,
अपने मन की भी कहना ।
Beautiful Poem!
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद ।
हटाएंWonderful!!
जवाब देंहटाएंThank you.
हटाएंआपकी रचना बहुत ही सराहनीय है ,शुभकामनायें ,आभार
जवाब देंहटाएंहमेशा प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 सितंबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंसुधी जनों के बीच जगह देने के लिए शुक्रिया ।
हटाएंबहुत आभार ।
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गगन शर्माजी ।
हटाएंवाह! लाज़वाब, काश हमेशा अपने मन की ही कही जा सकती. सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमन की
हटाएंकही-अनकही का
लेखा-जोखा,
भावुक कविता ।
आभारी हूँ । आपने विचारों का सिलसिला आगे बढ़ा दिया ।
बहुत ही सुन्दर.. सटीक...
जवाब देंहटाएंपढ़ने वालों का सुंदर मन ।
हटाएंजैसे विशाल नीला गगन ।
बहुत बहुत आभार ।
मन की कहना कठिन है, मन मे रखना भार
जवाब देंहटाएंखिली खिली सी धूप सी, रचना का आभार।
बहुत ही अप्रतिम रचना नूपुरम जी। लुत्फ़ आया।
आपको अच्छी लगी
हटाएंये जान कर,
सराहना की धूप पा कर,
कविता खिल उठी ।
आपका मार्गदर्शन मिलता रहे ।
पढ़ने वालों को अच्छा लगे,
इससे ज़्यादा
कविता को
क्या चाहिए ?
आभार । धन्यवाद ।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंकैसे लिख लेती हैं आप
इतना बढ़िया
है कौन
प्रेरणा आपकी
चाहती हूँ पाना
परिचय उनका
और ऐसी
तमाम बातें . .
इन सबके बारे
में लिखना ।
या फिर
करिएगा प्रेषित
मेरे नमन
सादर
जब कोई न था कवि को जानता ।
जवाब देंहटाएंतब जिसने केवल कविता को परखा ।
उसने ही दी मन से लिखने की प्रेरणा ।
कविता बन बही कल-कल भावों की सलिला ।
आपका परनाम हम पहुंचा दिए ।
जवाब देंहटाएंआपको भी हमारा परनाम पहुंचे ।
बहुत सुंदर । इतनी सादगी से जिंदगी की सबसे बढ़िया सीख दे डाली आपने...
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