रविवार, 17 जुलाई 2016

उम्मीद





ये जो . . 

एक अकेला फूल 
मिट्टी में खिला है  . . 

ओ हेनरी की कहानी 
द लास्ट लीफ़ के 
अंतिम पत्ते की तरह ,

इस दुनिया के 
बचे रहने की 
आख़िरी उम्मीद है । 



7 टिप्‍पणियां:

  1. हाय। यह कित्ता प्यारा है। एक फूल, अकेला बेचारा। वो एक चिड़िया, अनेक चिड़ियाँ वाला गाना कहाँ चला गया। अभी याद आ गया। सदियाँ बीत गईं लगता है सुने हुये। जैसे बचपन की कोई याद हो। बचपन में मेरे घर में इस फूल के पेड़ भी तो थे। मगर यह तो ढेर सारे खिलते थे। यहाँ यह एक अकेला क्यों है? एक अकेला इस शहर में वाला गाना सुन लिया है इसने शायद। नहीं सुना तो अब सुना दो। दिल बहल जाएगा। पहले से खिला हुआ है; और भी खिल जाएगा।
    ओ हेनरी से क्यों भिड़ा दिया इस मासूम को। वह शाम की आखिरी उम्मीद थी। यह तो नई सुबह की पहली किरन है। दिल का पहला ख़्याल। जागती आखों का पहला सपना। ऐ मेरी आँखों के पहले सपने। रंगीन सपने, मासूम सपने। पलकों का पलना झुलाऊँ तुझे। गा गा के लोरी सुलाऊँ तुझे..... हाँ, लकड़ी बंदर ही के तो तो आस पास थे कहीं। जब मुकेश ने धीरे से यह गुनगुनाया था। हवा में फैली मछलियों की हल्की बू ग़ायब हो गई थी। चाँदनी महकने लगी थी।
    दिये की ख़ामोश रौशनी झपकी थी उस रात; या मेरा दिल धड़का है अभी – कि कविता कैसी है, यह मुझे नहीं पता। किसी और से पूछ लो। कविता में कोई क्यों सर खपाये, जबकि यह फूल इत्ता प्यारा है।

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  2. ओ हेनरी से भिड़ाया नहीं गया । इस फूल को ओ हेनरी के पत्ते से बात करते देखा थे हमने । क्षितिज पर । जहाँ सुबह शाम जुड़ते हैं । दोनों को उम्मीद से जुड़ते देख लिया तो फ़ोटो खींच लिया । फूल अच्छा लगे, यही तो मक़सद था । उम्मीद तो उसके रंग में बसी ही है बाबा ।

    पढ़ने और झिड़कने का शुक्रिया आपको ! आप हमें शुक्रिया कहिए कि इस बहाने आपको बचपन की याद आ गई !

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  6. येल्लो। कल्लो बात। झिड़का कब भाई। ख़ामख़ा का इल्ज़ाम। कुछ लोगों तो बस, ख़राबी ही दिखती है हर तरफ़। बचपन की याद दिलाने के लिये शुक्रिया कहना पड़ेगा। अच्छा। ग़नीमत है बिल नहीं भेजा। सौ बार शुक्रिया, अजी सवा-सौ बार शुक्रिया।

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